युवावर्ग हमारे देश की प्रमुख ऊर्जा व शक्ति का स्त्रोत है| जिससे हमारा देश उन्नति की दिशा में अग्रसर हो रहा है| युवा अवस्था में हमारे अन्दर जूनून, हौसला और जिम्मेदारियां सबसे अधिक होती है| इसीलिए, सभी को युवाओं से आशा होती है कि वो स्वस्थ और सशक्त बन कर प्रगति पथ पर अग्रसर होगा| लेकिन हमारे देश के युवा गलत खान-पान व अस्वस्थ जीवन शैली के कारण विभिन्न तरह के रोगों का शिकार बन रहा है, जिसका असर देश की प्रगति पर पड़ रहा है|
युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर
युवा तो वो है, जिसके सामने कितनी भी विषम परिस्थति क्यूँ न हो वह हार नहीं मानता और निरंतर जीवन पथ पर आगे बढता रहता है| आज का युवा वर्ग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान न देने के कारण शारीरिक रूप से कमज़ोर और मानसिक रूप से दुर्बल हो रहा है| कार्यक्षेत्र में सबसे अधिक मांग युवाओं को इसीलिए होती है क्योंकि वे अधिक कार्य करने में सामर्थ्यवान व सक्षम होते है, लेकिन यदि युवा ही शक्तिहीन और अस्वस्थ हो जाएँ तो किसका दोष है? देश के प्रोफेशनल्स की सेहत पर नज़र रखने वालें संस्थान “नेशनल इंस्टिट्यूट आफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ” की रिपोर्ट के अनुसार, बीतें पांच साल में युवाओं की कार्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है| संस्थान पर किये गए अध्ययन में, मेट्रो शहरों में काम करने वालें युवा में तनाव, अनिद्रा और तनाव का शिकार पायें गए है| देश के ३१.२ प्रतिशत कामकाजी युवा किसी न किसी तरह के दर्द से परेशान है जिसमे माइग्रेन प्रमुख है| ६५% युवावर्ग दर्द से परेशान है जिसकी वजह रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, अनियमित दिनचर्या और बेतरतीब खान-पान को बताया गया है| ६५% प्रतिशत कामकाजी युवा किसी न किसी तरह के दर्द के कारण ६-८ घंटे की सामान्य नींद भी नहीं ले पाता| ४१% युवा लगातार दर्द की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो रहा है|( स्त्रोत: अखंड ज्योति: अक्टूबर, 2015)
अत्यंत आवश्यक है कि युवा अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनें और अपने खान-पान का ध्यान रखते हुए जीवन शैली से सम्बंधित आदतों को सुधारें अन्यथा बिमारियों की मार से उन्हें पीड़ित एवं परेशान रहना पड़ेगा| अस्वस्थ युवा न तो अपने लिए कुछ कर सकता है न तो देश और समाज के लिए|