👩⚕️👼👮बचपन👮👼👩⚕️काश बचपन में एकबार वापस फिर जा मैं पाता।गुल्ली डंडे का खेल,गगन में ऊँची पतंग उड़ाता।।अल्हड़पन वह बाल सुलभ वाक् पाटुता पुनः पाता।नटखट कृत्यों से अविभावक गणों को खूब छकाता।।पठन-पाठन एवम् क्रिणा में ताल-मेल बैठा मैं पाता।कब्बडी खेल कर धूल-धुसरित हो घर पर था आता।।गृह कार्य में कोताही