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nice दीदी
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37 किताबें
<div align="left"><p dir="ltr">उदासी अब कर लो जरा मुझसे <br> ब्रेकअप <br> खुशियों से करा दे जरा<br>
<div align="left"><p dir="ltr">ये मन के परिंदे सबकी चाहत अलग<br> अलग सबके अरमान<br> कुछ की ख्वाहिश छ
<div align="left"><p dir="ltr">कुछ अहसास दिल के<br> दिल में ही रह जाते है</p> <p dir="ltr">ख्वाब और
<p dir="ltr">जब हो घनी अंधियारी रात<br> तो समझना रोशन सवेरा <br> आने वाला है पास</p> <p dir="l
आम है आजकल की मोहब्बत की कहानी<div>ना होता इश्क अब रूहानी</div><div><br></div><div>ना आज की चा
<div align="left"><p dir="ltr">एक स्त्री और पुरुष की<br> दोस्ती भी पवित्र होती है<br> जो मन की भावना
<div>बिता वक्त लौट के नहीं आता </div><div>अच्छी बुरी यादें बस छोड़ जाता</div><div> कर नहीं
सालो बाद कुछ ऐसा नजारा हो होगा<div>प्रकृति से पहचान सिर्फ किस्से कहानी </div><div>का सहारा होगा
सुंदरता नहीं दिखावा <div>सादगी मे भी खूबसूरती </div><div>कमाल है</div><div>आधुनिक परिधान स
<div>काश के दिल ने ख्वाब प्रीत का</div><div>सजाया ही ना होता</div><div>तुम्हे माना मन का मीत</div><d
<p dir="ltr">रिमझिम बारिश की फुहार है<br> </p> <div align="left"><p dir="ltr">ये बारिश की बूंदे बादल
कभी मुझे समझने की <div>कोशिश कर</div><div>नजरिए इरादे बदल जाए</div><div>तू कभी इस क़दर </d
खुद को उलझा कर रखती हूं<div>उनको भूलने की नाकाम कोशिश करती हूं</div><div>दिल का एक है ख्याल</div><di
कोयला होना ही मुनासिब समझा<div><br></div><div>कोयला होना ही मुनासिब हमे समझा हीरे तो बिक जाते है बाज
एक अनूठा है ये नारी का<div>अंदाज</div><div>चोटी बनाने में नारी के</div><div>छुपा है राज</div><div><b
<div>घर का भेदी बनकर </div><div>तुम ना रिश्तों की मर्यादा</div><div>दांव पर लगाना</div><div>घर
घर का भेदी बन<div>विभीषण ने सदा</div><div>अपमान ही पाया</div><div>मानवता की राह पर</div><div>खुद पर
<div align="left"><p dir="ltr">सिर्फ तन की सुंदरता की ही ना <br> कमाना<br> मन को भी तुम निखारना<br>
कलयुग के विभीषण बड़े अनोखे<div>अपने स्वार्थ के लिए देते अपनो को धोखे</div><div>घर के भेदी बनकर अपनो
<p dir="ltr">बांसुरी कान्हा को अति प्रिय<br> बांसुरी की धुन मोह ले सबके हृदय</p> <p dir="ltr">बांसुर
दीपावली की धूमधाम<div>दीयों से जगमगाती शाम</div><div>दीपावली का त्यौहार</div><div>खुशियों का मिले उप
<div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/616076f83
<div align="left"><p dir="ltr">दिल का अब तो<br> व्यापार है <br> अब नहीं दिल कोई <br> अहसास है<br> इश
<div align="left"><p dir="ltr"><b>त्यौहार</b> की यादें</p></div> <div align="left"><p dir="ltr">मिट्
<div align="left"><p dir="ltr">त्योहारों की यादें<br> खूबसूरत सौगातें<br> फूलो की तरह <br> सदा महकती
<div><span style="font-size: 16px;">ये त्यौहार के मौसम </span></div><div><span style="font-size
<p dir="ltr">त्यौहार की यादें <br> बड़ी ही सुहानी<br> आज बनकर रह<br> जैसे किस्से कहानी<br> त्य
<div align="left"><p dir="ltr">मै ख्याल मुझ पर किसी बंधन का जोर नहीं<br> मै ना ठहरू मेरा कोई छौर नही
<div align="left"><p dir="ltr">बच्चे मन के सच्चे<br> आइने सा उनका मन<br> छल कपट से परे<br> मासूमियत
<div align="left"><p dir="ltr">राजस्थान का सुंदर शहर<br> राव जोधा का बसाया ये नगर<br> आबादी जहा की ल
<div align="left"><p dir="ltr">ग्रहों की भूल है <br> या वक्त की ये चाल है<br> या किस्मत का ये जंजाल
<p>वो अनजाना सा राही<br> जीवन में यू आया<br> बन बैठा मेरा माही<br> ख्वाब दिलकश दिखाया<br> एक तूफान स
<p>वृक्ष जीवन का आधार है<br> पृथ्वी का श्रृंगार है<br> वृक्षारोपण का जो लोग प्रण<br> सुरक्षित होगा स
<div><span style="font-size: 16px;">आज की ये आखिरी रात होगी</span></div><div><span style="font-size:
<p>बीते साल की यादें<br> उसकी दिल में सजाए<br> आ गया नया साल <br> ख्वाब नए सजाए<br> शिकवे शिकायत सब भूलकर<br> अपनो को गले लगाए<br> नई उम्मीदों नई उमगों से भरा<br> ये साल सभी के जीवन में<br> रंग नए बिख
साल की ये नई शुरुआत हुई अपनों की शुभकामाओं के साथ भूलकर गम की बात
अपने करीब मुझे तुम पाओगे हर पल हर लम्हा तुम चाहे हो महफ़िल चाहे रहो तन्हा आसमां का सितारा या हो इश्क का नज़ारा रूहानी इश्क फिर भी मुमकिन नहीं मिलन हमारा क्या हुआ अगर रह गई अधूरी हमरी इश्क की कहानी पुनर्जन्म लेकर मुक्कमल करेंगे इश्क अपना रूहानी
रिश्ता है ये खास मेरे यार ये दोस्ती जीते है हम इसे प्यार से प्यारा है एहसास यार ये दोस्ती अजनबी बनकर हम मिले अब बन गई जान ये दोस्ती जन्म से रिश्ते सारे बने दिल का बनाया नाता है यार ये दोस्ती बिन शर्तो के जीवन भर का नाता है सरकार ये दोस्ती
जिंदगी के सफर के लम्हे कुछ उलझे से कुछ सुलझे कुछ अपने थोड़े बेगाने कभी पतझड़ कभी बहारें जिंदगी के रंग अनोखे है यार कभी नफरत कही प्यार
जिस ज़र्रे को कान्हा के चरण छू जाए पुण्य का सैलाब वहां आए मिट जाए पाप कृष्ण नाम से
ख्वाब मेरे कहे घर गांव से दूर परदेश जाने को घर अपनो की यादें सताती मिट्टी की सोंधी सी खुशबू
सूरज मकर राशि में प्रवेश होकर मकर संक्रान्ति की दी खबर याद आया वो बचपन का जमाना सबके संग मिलकर पतंगे उड़ना तिल लड्डू खाना खिलाना प्यारा था वक़्त सुहाना महक सोंधी सी खिचड़ी ओर गुड़ की गीत गाना ओर धूम
राजस्थान में प्रसिद्ध अजमेर, (जिसका प्राचीन नाम अज्मेरू था) शहर बसाकर मेवाड़ की नींव रखने वाले महाराज अजमीढ़ जी, मैढ़क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के आदि पुरुष माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाराज अजमीढ