जब हो घनी अंधियारी रात
तो समझना रोशन सवेरा
आने वाला है पास
जब बिन मौसम हो बरसात
बिगड़ी हो कोई बात
अब होने को है नई शुरुआत
मौसम के बदलने का है आगाज
लोग रखते है चहेरे कई हजार
मिले यह फरेब की भरमार
आखिर तो जीते सच और प्यार
युग चाहे बदला आज भी होती
गलत ही हार
कुछ लोगो ने किया नीलाम
अपना स्वाभिमान
सिलसिला चाहे ये हुआ अब आम
पर आज भी लड़ जाते है
मर मिट जाते है कितने ही
जहा दाव पर हो सम्मान
फूल बनकर जो जिओगे
मसले जाओगे मुरझाओगे
हौसलों के सांचे में ढलना होगा
ख्वाबों के लिए कांटों की रह भी
चलना होगा
ख्वाब सजा पूरे कर दिखा
जिंदगी की आजमाइश से आगे
बढ़ना ही सीखा