एक स्त्री और पुरुष की
दोस्ती भी पवित्र होती है
जो मन की भावनाओं से
जुड़ी होती है
पुरुष जब बिन स्वार्थ
निभाए स्त्री का साथ
बिन आजमाइश
बिन ख्वाहिश
रखे स्त्री के इच्छाओं का ख्याल
वो दोस्ती होती है कमाल
जहा अहंकार ना आड़े आए
वही दोस्ती सुरक्षित घेरा बनाए
ऐसी दोस्ती रहती बरकरार
स्त्री पुरुष की दोस्ती में
ना बुराई देखो यार
स्त्री पुरुष की दोस्ती भी तो
कान्हा द्रोपत्ति की दोस्ती सी
हो सकती है समझो इतनी सी बात