वो अनजाना सा राही
जीवन में यू आया
बन बैठा मेरा माही
ख्वाब दिलकश दिखाया
एक तूफान से हम अनजान
बना बैठे उसे अपने दिल में मेहमान
वो मेरी खुशियों का रकीब
मै नादान उसके इरादो से अनजान
दी इजाजत आए करीब
इश्क का पहना उसने नकाब
चाहत दी मैंने भी बेहिसाब
जब मन उसका भर गया
नई राह वो निकल गया
बहारें जीवन की लूट कर ले गया
पतझड़ सौगात मे दे गया