त्यौहार की यादें
बड़ी ही सुहानी
आज बनकर रह
जैसे किस्से कहानी
त्यौहारों का वो क्या खूब
दौर था
उस दौर का नज़ारा कुछ और था
हर तरफ मचती धूम
मस्ती धमाल का हुआ करता शोर
महफिलें सजा करती थी
रोनकें लगा करती थी
मिठाई की खुशबू से
घर गलियां महका करती थी
एक दूजे से मिलकर
दी जाती थी बधाई
दूर दूर तक ना हुआ करती थी तन्हाई
अपनेपन का सब और होता अहसास
एक दूजे को प्यार से दी जाती
खुशियों की सौगात
आज के वक़्त में ये कहानी सी है
वो त्यौहार की यादें सुहानी सी है
आज सभी का व्यस्त सा जीवन
उलझे से है सभी के मन
सोशल मीडिया से दी जाती बधाई
त्योहारों में भी है तन्हाई
ना अपनेपन की कोई बात
ना साझा होते जज़्बात
आज की नई पीढ़ी
त्यौहार की रीत से अनजान
त्यौहार के महत्व की नहीं पहचान
पार्टी में सिमट कर रह गए त्यौहार
फिर कैसे जाने त्यौहार में छिपी
खुशियों की बहार
त्यौहार परम्परा से पिछड़ रहे है
अपनों और अपनेपन के एहसासों से
बिछड़ रहे है
अब नहीं नहीं त्यौहार की यादें प्यारी
डिजिटल त्यौहार की बाते ही न्यारी
पहले के दौर के त्यौहार ही में भाए
त्यौहार की यादें बड़ी याद आए