shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

खुशियों का खजाना.....

Richarudra Sahu

0 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

खुशियों का खजाना.... कुछ बंटा... कुछ गुमा... कुछ छूटा... कुछ जमाने ने लूटा.... खुशियों का खजाना.... पास था... जब कुछ अपनों का साथ था... कैसा बेखबर.... नादान था.... सहेज कर रख नहीं पाया इस बेजोड़ थाती को... इसके अनमोल मोतियों को मन मंजूषा में.... सुरक्षित.... अब बीनता हूँ.... बेमियाद... बेतरतीब बिखरे पड़े यादों के बेशकीमती मोती... कहाँ सिमट पाता है खजाना... पर खुश हो लेता है मन खुशियों की परछाई से मुट्ठी भर कर... अब खजाना न सही... पर कुछ तो शेष है अभी भी मेरे पास... जो अशेष है.... अत्यंत प्रिय है... अंश ही सही... अनंत है........ ...... 🌟 ...... 

khushiyon ka khajana

0.0(0)

पुस्तक के भाग

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए