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चार 'स' का पोषण,तथा विस्तरण यथा साहित्य, संगीत, सिनेमा तथा संस्कृति ,चार 'स' का पोषण,तथा विस्तरण यथा साहित्य, संगीत, सिनेमा तथा संस्कृति

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RAGHAVA

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चार 'स' का पोषक और संवाहक : साहित्य , संगीत , सिनेमा, संस्कृति. इस घर के दरवाज़े और खिड़कियाँ चारों ओर से खुले हैं! कोई भी, कहीं से भी आए!

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" मेरे पिता को पकिस्तान ने नहीं मारा !"

3 मार्च 2017
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जी! किसी नन्ही-मुन्नी कली(आयु केवल दो वर्ष) के पिता युद्ध में खेत रहे! उसे कहा गया कि युद्ध पाकिस्तान से था . गुड़िया ज्यों-ज्यों बड़ी होती गई , उसके मन में यह बात बैठती गयी कि पाकिस्तानी उसके पिता के क़ातिल हैं. छह साल तक अपने पिता की बांहों के लिए तरसती रही इस मुलमुली

सुपारी वहाँ भी: सुपारी यहां भी

28 फरवरी 2017
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हाल ही में महाराष्ट्र के विदर्भ अंचल के नगर वर्धा के पास बसे सेवाग्राम में स्थित,'गांधीकुटी'केतीर्थाटन को गया था. सेवाग्राम से लेकर वर्धा तक की पुण्यभूमि गाँधी जी की कर्मस्थली रही. सेवाग्राम एक पूरा परिसर है जिसमें गाँधी जी द्वारा खोलेगये विभिन्न प्रकार के सामाजिक संगठन, शिक्षा संस्थान एवं राष्ट्रीय

सदाफूली की साइकिल

24 फरवरी 2017
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माँ ने उसका नाम ही सदाफूली रख दिया था. 'सदाफूली ' महाराष्ट्र में 'सदाबहार' फूल को कहते हैं. गर्मी हो, सर्दी या कि बरसात, यह फूल सदाबहार है , फूलता ही रहता है. कई मर्ज़ों की दवा भी है यह! 'एंटीबायटिक' बनाने मैं भी प्रयोग की जाती है अर्थात स्वयं तो सदा खिली रहती ही है द

और वह केला नहीं ख़रीद पाई !

21 फरवरी 2017
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बहुत दिनों पहले की बात है .तब जनाब ख़्वाजा अहमद अब्बास हयात थे. एक प्रसिद्द टैब्लॉइड 'ब्लिट्ज़' के हिंदी संस्करण में उनका एक स्तम्भ 'आख़िरी पन्ना' छपा करता था. एक बार उन्होंने लिखा कि जब वो छोटे थे तोअपने लिए दूध नहीं ख़रीद पाए क्योंकि जब उनकी जेब में 4 आने होते तो

साझा विरासत का खून: फूल रही सरसों

18 फरवरी 2017
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16 फरवरी, 2017. पाकिस्तान की एक जगह सहवान में १३वीं सदी के महान मुस्लिम सूफ़ी संत लाल शहबाज़ क़लन्दर का मज़ार और उसमें भक्तों का जमावड़ा, अक़ीदत के फूल और चादरें, सूफ़ी क़व्वालियाँ, दिव्य आनंद की 'धमाल'....कि एक धमाका और 70 मरे, 100 से ज़्यादा घायल!!! यह उस दिन की सबसे बड़ी खबर थी और यह एक आतंकी हमला था.....प

बूँद टूटे कि तोड़े !

17 फरवरी 2017
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' बारिश की बूँद टूटे कि तोड़े, सवाल इतना सा है! ' देवेंद्र भाई ने कहा और चुप हो गए.देवेंद्र भाई यानी स्वर्गीय डॉ. देवेंद्र कुमार, प्रसिद्द गांधीवादी अर्थशास्त्री, डॉ कुमारप्पा के शिष्य एवं गुमनाम वैज्ञानिक! वैज्ञानिक , जो केवल गांव वालों के लिए ही सोचते थे और उन्हें निरंतर आत्मनिर्भरता की और अग्रसर

बात से पहले की बात

16 फरवरी 2017
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मित्रो, नमस्कार ! मैंने अपना पन्ना (वेब पेज ), 'बात बोलेगी' कल ही बनाया था और आज,' बात से पहले की बात' करना चाहता हूँ. यह सन 1949 की बात है. मैं तब कक्षा चार में दिल्ली, पहाड़गंज के दयानंद एंग्लो-वैदिक विद्यालय में पढता था. वहाँ एक वाक्-प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. विषय था,' क्या भारत विश्व का प्रति

आगाज़

15 फरवरी 2017
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नमस्कार दोस्तों! शब्द नगरी द्वारी सजाई गयी इस महफ़िल में आज से मैंने भी क़दम रख दिए हैं! काफी सामान हैं यहां लुभाने के; सो सोचा क्यों आप सब से मुलाक़ात भी की जाय और मन में जो ए , उकेर भी दिया जाय .. शब्द नगरी का आभार की एक मंच दिया. शब्द नगरी की ओर से, मज़ाहिया अंदाज़ में लिखना चाह

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