कृष्ण अर्थात कुछ नही , किसी का नही, परन्तु सब मे समाहित सबसे सम्मोहित, काला कृष्ण नाम हो या वर्ण यथाकि उसमे कुछ नही, कुछ नही होन ही क्या कृष्ण होता है? संभवतः। वही श्वेत सभी तो है उसमे सभी वर्णो की पटछाया लेकर ऐसे इठलाता है जैसेकि वही सब कुछ हो,सम्पूर्ण। जीवन और मृतयु के बीच इन्ही दो वर्णो का तेज । एक से जीवन की आदि तो दूसरी से अंत।