ज़्यादा नहीं हूँ अच्छा ए ज़माने
थोड़ा बहुत ख़राब हूँ मैं
लोग कहते हैं ये बुरी है
मगर मुझे सहारा देती है
तभी पीता शराब हूँ मैं
ये दुनिया के तो क्या कहूँ
बाज़-वक़्त तो लगता है
के ख़ुद इक सराब हूँ मैं
जो कल आँखों में आया
वो कह गया छू मत मुझे
जल जायेगा
आँसू नहीं तेज़ाब हूँ मैं
क्या कभी ज़िंदा लाश देखी है?
सवाल नहीं जवाब हूँ मैं