वो गाँव में
तारे देखते देखते
सो जाना
याद आता है
अम्मा का खटिया पे
बिस्तर लगाना
और फिर आजा जल्दी
दूध पीले
कहके बुलाना
याद आता है
सुबह उठ के
खेत को जाना
और पशुओं के लिए
चारा लाना
याद आता है
बस यूँ ही
दोस्तों के साथ
गलियों में वक्त बिताना
लोगों से बेवजह ही
लड़ के आना
याद आता है
स्कूल ना जाने
के लिए
बुख़ार का बहाना
कल तो जी
घर पे कोई
नहीं था
जाके मास्टर को बताना
याद आता है
बाज़ार से खिलौना
ख़रीदने के लिए
बापू को मनाना
और फिर खिलौना
मिलने पर
उसे कसके गले लगाना
याद आता है
बारिश के पानी में
छोटी सी कागज़ की
कश्ती को बहाना
खुले खेत में जाके
वो ऊँचा,और ऊँचा
पतंग उड़ाना
याद आता है
सारा दिन खेल कूद के
फिर रात को
घर आना
पागलों की तरह
अकेले ही
अपनी मौज में गाना
याद आता है
छोड़ पराये वतन में
जाके क्या करेगा
दिल को समझाना
आते हुए परदेस को
वो घर को सर झुकाना
याद आता है
अब वो बात कहाँ
जो पहले थी
वो गुज़रा हुआ ज़माना
याद आता है