कविता संग्रह
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पलके बंद करूँ तो ख़्वाब मे तुम, जो आँखें खोलु तो ख़्याल मे तुम; ग़र ना दिखो कभी आसपास, तो मन के हर सवाल मे तुम; जो नज़र भर का दीदार हो गया, तो हर सवाल के जवाब मे तुम; बड़ी अज़ीब रोग है ये इश्क़ भी, ह