*सनातन धर्म के सद्ग्रन्थों एवं ऋषि - महर्षियों के विचारों में एक तथ्य एवं दिशा निर्देश प्रमुखता से प्राप्त होता रहा है कि मनुष्य जीवन पाकर के सबसे पहले मनुष्य को स्वयं के विषय में जानने का प्रयास करना चाहिए | क्योंकि जब तक मनुष्य स्वयं को नहीं जान पाएगा तब तक वह ब्रह्मांड को जानने का कितना भी प्रया