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मातृ दिवस पर ( गज़ल)

8 मई 2022

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( मातृ दिवस पर  )

रात दिन मां काम कर कर के घर में खटती है,
थक तो जाती वो ,मगर उफ़ कभी ना करती है।

जाने कब आराम करती है मां, देखा नहीं,
रात दिन वो दिल से बस काम करते दिखती है।

वो कभी तकलीफ़ अपनी बताती भी नहीं,
अपनों की तकलीफ़ को सुन के बेहद डरती है।

घर के बाक़ी लोग करते हैं बेहद ख़र्च पर,
पैसों को मां सास सी प्यार देकर रखती है।

जब बड़ा खर्च अचानक ही आता तब अम्मा ,
पेटी में ज़मा पैसे टेबल पर रख देती है।

( डॉ संजय दानी  )
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मातृ दिवस पर ( गज़ल)
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माँ की अपने परिवार ले प्रति सोच पर एक गज़ल।

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