आत्ममुग्ध होने की गुंजाइश नहीं
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रपट शायद ही किसी को चौंकाए. यह बताती है कि भारत में अब भी करीब 30 करोड़ लोग भयावह गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं. ऐसे समय में जबकि देश में विकास के नित नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं, ये आंकड़े हमें थोडा बहित चिधाएंगे ही. बेशक, हमारे पास मिसाइलें हैं, तकनीक है, कम्प्यूटर हैं, म