महाशिवरात्रि
आया,आया है महाशिवरात्रि, चलो, सब मिल महाभिषेक कर आएं,
फाल्गुन माह,कृष्ण पक्ष,तिथि चतुर्दशी, का महाशिवरात्रि मनाएं।
आक ,धतूरा,चन्दन,रोली,मौली,अबीर,तिल और अक्षत से थाली सजाएं,
कच्चे दूध,दही,मधु,जल और गंगा जल शिवलिंग पर चढ़ा कर बाबा को रिझाएं,।
शिव भक्त हम इस दिन उपवास करे ले ,आओ ,चलें उन के गुण गाएं,
यही है तिथि ,को हुए प्रकट, भोले बाबा शिवलिंग में है आएं।
पावन तिथि थी यही,जब शिव और शक्ति गृहस्थी अपनी बसाएं ,
हुई मां गौरा इनकी पत्नी और कार्तिक और गणेश वो दो पुत्र इनके कहलाएं,
फिर अशोकसुंदरी पुत्री इनकी थी,नहुष इनके जमाता कहलाएं।
सोहे जिनके गले हार भुजंग, हाथ त्रिशूल, मस्तक त्रिपुंड लगाएं
माथे सोहे अर्द्ध चंद्र और जटा से बहती माँ गंगा धरा पर आएं।
ब्रह्मांड के स्वामी अधिनायक, पूरे जगत के प्रतिपालक कहलाएं।
शिव स्तुति,गौरी वंदन, शिव आरती कर बम-बम के नारे लगाए,
ले कर माला रुद्राक्ष की, नमः शिवाय नमः शिवाय जपते जाएं।
भोले हैं औघड़ दानी, भोलेनाथ सबके स्वामी,सबके कष्ट मिटाएं,
भक्ति, शक्ति,मुक्ति के दाता सबके भंडारे भरते, सबको भव से पार लगाए।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान