आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस(Happy Women's Day) मना रहा है, इसी को ध्यान में रखते हुए गूगल ने भी अपना आज का डूडल (Google’s Doodles) महिलाओं के नाम समर्पित किया है और नारी के प्रति अपने सम्मान को बताया है। गूगल में बेहतरीन तरीके से लगभग 14 भाषाओं में महिलाओं
महिला सशक्तिकरण वह प्रक्रिया है । जिसकी मदद से महिलायें और अधिक जागरूक तथा अपने अधिकारों के प्रति सजग हुई है। किसी समय अपने आप को घुघंट के अन्दर काढ़ कर और घर की चहारदीवारी के भीतर पुरुषों के आदेश पालन को अपना जीवन समझने वाली महिलाएँ आज इस वर्तमान समय में पुरुष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़ी है, क
नारी , तुम किसकी बराबरी करना चाह रही हो ? नर की , जिसे तुम जन्म देती हो !कुछ बड़ा और अलग करो , देवी ।
नारी "-ईश्वर की सर्वश्रेष्ठतम कृति ================== ‘नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग, पग-तल में, पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में।' वास्तव में नारी इन पक्तियों को चारितार्थ करती है।नारी श्रद्धा,प्रेम,समर्पण और सौंदर्य का पर्याय है। नारी अमृत तुल्य है क्योंकि वह जीवन देती है,
नारी तुम मुक्त हो।नारी तुम मुक्त हो। बिखरा हुआ अस्तित्व हो। सिमटा हुआ व्यक्तित्व हो। सर्वथा अव्यक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।शब्द कोषों से छलित देवी होकर भी दलित। शेष से संयुक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।ईश्वर का संकल्प हो।प्रेम का तुम विकल्प हो। त्याग से संतृप्त हो। नारी तुम मुक्त हो
महिला सशक्तीकरण पर सर्वाधिक चर्चा नब्बे के दशक से उभरे भूमंडलीकरण के दौरान प्रारंभ हुई। 'विमेन फ्रीलिव' जैसे अप्रासंगिक आन्दोलन ने 'सशक्तीकरण' का जो रूप ग्रहण किया है वह उचित एवं प्रासंगिक दोनों ही है। महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में जब कानपुर का प्रसंग आता है तो कुछ नाम सहज ही याद आने लगते हैं। इन्ह
सादर शुभ प्रभात मित्रों,आज विश्व महिला दिवस पर मंच की सभी महिला मित्रों को सादर प्रणाम, महिला शक्ति को सादर नमन। मुझे लगता है कि आज हमें अपने अंतरमन से यह जरूर पुछना चाहिए कि क्या हमारे अबतक के जीवन का एक पल भी बिना किसी महिला के साथ के व्यतित हुआ है। अगर उत्तर नहीं है तो पीछे मुड़कर देखें, जन्म दिया
स्त्री यदि बहन है तो प्यार का दर्पण है,स्त्री यदि पत्नी है तो खुद का समर्पण है,स्त्री यदि भाभी है तो भावना का भण्डार है,स्त्री अगर मामी, मौसी, बुआ है तो स्नेह का सत्कार है,स्त्री यदि चाची है तो कर्तव्य की साधना है,स्त्री अगर साथी है तो सुख की शतत् सम्भावना है,औरस्त्री यदि माँ है तो साक्षात परमात्मा