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मंगलसूत्र

मुंशी प्रेमचंद

4 अध्याय
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2 पाठक
12 फरवरी 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

प्रेमचंद द्वारा लिखित 'मंगलसूत्र' उपन्यास उनका अपूर्ण उपन्यास है। 1936 ई. में अपने अंतिम दिनों में प्रेमचंद 'मंगलसूत्र' उपन्यास लिख रहे थे किंतु वे उसे पूर्ण न सके। इस उपन्यास का अंतिम रूप क्या होता, यह तो कहना कठिन है तो भी ऐसी प्रतीत होता है कि वे इसकी रचना आत्मकथात्मक रूप में करना चाहते थे। 

mangalsutra

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पुस्तक के भाग

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मंगलसूत्र

8 फरवरी 2022
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1 बड़े बेटे संतकुमार को वकील बना कर, छोटे बेटे साधुकुमार को बी.ए. की डिग्री दिला कर और छोटी लड़की पंकजा के विवाह के लिए स्त्री के हाथों में पाँच हजार रुपए नकद रख कर देवकुमार ने समझ लिया कि वह जीवन के

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संत कुमार की स्त्री पुष्पा बिल्कुल फूल-सी है, सुंदर, नाजुक, हलकी-फुलकी, लजाधुर, लेकिन एक नंबर की आत्माभिमानिनी है। एक-एक बात के लिए वह कई-कई दिन रूठी रह सकती है। और उसका रूठना भी सर्वथा नई डिजाइन का ह

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8 फरवरी 2022
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मि. सिन्हा उन आदमियों में हैं जिनका आदर इसलिए होता है कि लोग उनसे डरते हैं। उन्हें देख कर सभी आदमी आइए, आइए, करते हैं, लेकिन उनके पीठ फेरते ही कहते हैं – बड़ा ही मूजी आदमी है, इसके काटे का मंत्र नहीं।

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8 फरवरी 2022
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संतकुमार यहाँ से चले तो उनका हृदय आकाश में था। इतनी जल्दी देवी से उन्हें वरदान मिलेगा इसकी उन्होंने आशा न की थी। कुछ तकदीर ने ही जोर मारा, नहीं तो जो युवती अच्छे-अच्छों को उँगलियों पर नचाती है, उन पर

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