लखीमपुर-खीरी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसमे शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं I जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ओयल कस्बे में स्थित इस मन्दिर को मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाता है I इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि यहां नर्मदेश्वर महादेव का शिवलिंग रंग बदलता है, और यहां दुर्लभ खड़ी नंदी की मूर्ति है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है I
इतिहासकारों के अनुसार मंदिर राजस्थानी स्थापत्य कला एवं तांत्रिक मण्डूक तंत्र पर बना है। मंदिर के बाहरी दीवारों पर शव साधना करती उत्कीर्ण मूर्तियां इसे तांत्रिक मंदिर ही बताती हैं। सामने से मेंढक के पीठ पर करीब सौ फिट का ये मन्दिर अपनी स्थापत्य के लिए उत्तर प्रदेश ही नहीं वरन पूरे देश के शिव मंदिरों में सबसे अलग है.
सावन में पूरे माह, भक्त यहां दूर-दूर से आकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर ओयल स्टेट के राजा बख्त सिंह ने करीब 200 साल पहले बनवाया था। इतिहास के जानकार कहते हैं कि मंदिर निर्माण के पीछे दो बातें सामने आती हैं. ओयल के राजाओँ ने इसे युद्ध में जीते धन के सदुपयोग के लिए बनवाया तथा दूसरा कारण यह कि अकाल से निपटने को किसी तांत्रिक की सलाह पर ये अदभुद मंदिर बनवाया गया।
इस मंदिर के चारों कोनों पर अत्यंत सुंदर गुम्बद बने हैं। मंदिर का छत्र भी कभी सूर्य की रोशनी के साथ घूमता था। मेंढक मंदिर की एक ख़ास बात इसका कुआं भी है। पृथ्वी तल से ऊपर बने इस कुए में जो पानी रहता है वो पृथ्वी तल पर ही मिलता है। इसके अलावा खड़ी नंदी की मूर्ति मंदिर की विशेषता है I मंदिर का शिवलिंग भी अत्यंत सुन्दर है और संगमरमर के कसीदेकारी से बनी ऊंची शिला पर विराजमान है. नर्मदा नदी से लाया गया शिवलिंग भी भगवान नर्मदेश्वर के नाम से विख्यात है।
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D