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शिवाष्टकम

27 फरवरी 2016

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शिव के प्रशंसा में अनेकों अष्टकों की रचना हुई है जो शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक जैसे नामों से प्रसिद्ध  हैं। शिवाष्टकों की संख्या भी कम नहीं है। प्रस्तुत शिवाष्टक आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित है। आठ पदों में विभक्त यह रचना परंब्रह्म शिव की पुजा एक उत्तम साधन है ।


तस्मै नम: परमकारणकारणाय , दिप्तोज्ज्वलज्ज्वलित पिङ्गललोचनाय ।
नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय , ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नम: शिवाय ॥ 1 ॥

जो (शिव) कारणों के भी परम कारण हैं, ( अग्निशिखा के समान) अति दिप्यमान उज्ज्वल एवं पिङ्गल नेत्रोंवाले हैं, सर्पों के हार-कुण्डल आदि से भूषित हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्रादि को भी वर देने वालें हैं – उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय , शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय ।
कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय , लोकत्रयार्तिहरणाय नम: शिवाय ॥ 2 ॥

जो निर्मल चन्द्र कला तथा सर्पों द्वारा ही भुषित एवं शोभायमान हैं, गिरिराजग्गुमारी अपने मुख से जिनके लोचनों का चुम्बन करती हैं, कैलास एवं महेन्द्रगिरि जिनके निवासस्थान हैं तथा जो त्रिलोकी के दु:ख को दूर करनेवाले हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय , कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय ।
भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय , नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ॥ 3 ॥

जो स्वच्छ पद्मरागमणि के कुण्डलों से किरणों की वर्षा करने वाले हैं, अगरू तथा चन्दन से चर्चित तथा भस्म, प्रफुल्लित कमल और जूही से सुशोभित हैं ऐसे नीलकमलसदृश कण्ठवाले शिव को नमस्कार है ।

लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय , दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय ।
व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय , त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥ 4 ॥

जो लटकती हुई पिङ्गवर्ण जटाओंके सहित मुकुट धारण करने से जो उत्कट जान पड़ते हैं तीक्ष्ण दाढ़ों के कारण जो अति विकट और भयानक प्रतीत होते हैं, साथ ही व्याघ्रचर्म धारण किए हुए हैं तथा अति मनोहर हैं, तथा तीनों लोकों के अधिश्वर भी जिनके चरणों में झुकते हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

दक्षप्रजापतिमहाखनाशनाय , क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय ।
ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगक्रोटिनिकृंतनाय , योगाय योगनमिताय नम: शिवाय ॥ 5 ॥

जो दक्षप्रजापति के महायज्ञ को ध्वंस करने वाले हैं, जिन्होने परंविकट त्रिपुरासुर का तत्कल अन्त कर दिया था तथा जिन्होंने दर्पयुक्त ब्रह्मा के ऊर्ध्वमुख (पञ्च्म शिर) को काट दिया था, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय , रक्ष: पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय ।
सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय , शार्दूलचर्मवसनाय नम: शिवाय ॥ 6 ॥

जो संसार मे घटित होने वाले सम्सत घटनाओं में परिवर्तन करने में सक्षम हैं, जो राक्षस, पिशाच से ले कर सिद्धगणों द्वरा घिरे रहते हैं (जिनके बुरे एवं अच्छे सभि अनुयायी हैं); सिद्ध, सर्प, ग्रह-गण एवं इन्द्रादिसे सेवित हैं तथा जो बाघम्बर धारण किये हुए हैं, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय , सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय ।
गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय , गोक्षीरधारधवलाय नम: शिवाय ॥ 7 ॥

जिन्होंने भस्म लेप द्वरा सृंगार किया हुआ है, जो अति शांत एवं सुन्दर वन का आश्रय करने वालों (ऋषि, भक्तगण) के आश्रित (वश में) हैं, जिनका श्री पार्वतीजी कटाक्ष नेत्रों द्वरा निरिक्षण करती हैं, तथा जिनका गोदुग्ध की धारा के समान श्वेत वर्ण है, उन शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय , यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय ।
ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय , गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय ॥ 8 ॥

जो सूर्य, चन्द्र, वरूण और पवन द्वार सेवित हैं, यज्ञ एवं अग्निहोत्र धूममें जिनका निवास है, ऋक-सामादि, वेद तथा मुनिजन जिनकी स्तुति करते हैं, उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करने वाले शिव जी को नमस्कार करता हूँ।

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व्रत-उपवास से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव

25 फरवरी 2016
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महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। फाल्गुन  मास  के  कृष्ण पक्ष  की  चतुर्दशी  को यह पर्व मनाया जाता है। शिवरात्रि वह रात्रि है जिसका शिवतत्त्व से घनिष्ठ सम्बन्ध है। भगवान शिव की अतिप्रिय रात्रि को शिव रात्रि कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्र

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शिवरात्रि : परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व

25 फरवरी 2016
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार  फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को चन्द्रमा सूर्य के समीप होता है। अत: यह तिथि जीवन रूपी  चन्द्रमा  का शिवरूपी  सूर्य  के साथ योग का समय होता है। इस प्रकार इस शुभ तिथि में शिवपूजा करने से जीव को  अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। यही शिवरात्रि का विशेष महत्त्व है।

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शिवरात्रि में होते हैं मंगलकारी परिवर्तन

25 फरवरी 2016
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हमारा देश भारत त्योहारों का देश है I यहाँ होली, दीपावली, दशहरा, पोंगल, महाशिवरात्रि, क्रिसमस, ईद इत्यादि अनेक त्योहार पूरे देश में अत्यंत हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं I हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को अर्थात अमावस्या से एक दिन पहले वाली रात्रि को मनाया ज

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शिवरात्रि होती है विशेष फलदायी

25 फरवरी 2016
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ऐसी मान्यता है कि सृष्टि में जब सात्विक तत्व का पूरी तरह अंत हो जाएगा और मात्र तामसिक शक्तियां ही रह जाएंगी तब महाशिवरात्रि के दिन ही प्रदोष काल में अर्थात  संध्या के समय ताण्डव नृत्य करते हुए रूद्र प्रलय लाकर पूरी सृष्टि का अंत कर देंगे। इस प्रकार शास्त्र एवं पुराणों में महाशिवरात्रि का महात्म्य वर

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हर हर महादेव !

25 फरवरी 2016
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हर हर महादेव धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो हर हर महादेव !

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सुहागिनों के भी आराध्य हैं शिव

25 फरवरी 2016
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माना जाता है कि महाशिवरात्रि का पावन दिन कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। जिन कन्याओं के विवाह में कोई बाधा होती है, वे इस व्रत के साथ भगवान शिव और जगत जननी की पूजा-अर्चना करके मनोवांछित फल की प्राप्ति करती हैं।महाशिवरात्रि प

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शिव ही सुन्दर है

25 फरवरी 2016
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शिव   सुन्दर   सत्य   है, शिव  आनन्द  अनंत  है, शिव   ही   अनादि    है, शिव   भोले   भगवंत है, शिव      ओंकार       है, शिव    पार    ब्रह्म    है, शिव   समग्र  शक्ति   है, शिव    भाव   भक्ति  है, आओ भगवान शिव का निस  दिन नमन     करें, उनका  शुभ  आशीर्वाद हम सब पर  बना  रहे !हर      हर     महादेव !

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ॐ नमः शिवाय

25 फरवरी 2016
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फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, महाशिवरात्रि पर्व के नाम से जगत प्रसिद्ध है। भगवान शिव के भक्तों के लिए यह सबसे पवित्रतम् दिन है। शिव का अर्थ है कल्याण। अत: शिवरात्रि कल्याण की रात्रि है। शिवरात्रि का महाव्रत शुभफलदायी तथा आत्मा को पवित्र करने वाला महाव्रत है। शिव भक्त इस पुनीत दिन शिवलिंग पर

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सोमनाथ ज्योतिर्लिन्ग्

25 फरवरी 2016
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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जात

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मल्लिकार्जुन् ज्योतिर्लिन्ग्

25 फरवरी 2016
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यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं। कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पा

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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

25 फरवरी 2016
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यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

25 फरवरी 2016
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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है। ॐ शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ॐ के सा

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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

25 फरवरी 2016
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श्री केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शि

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

26 फरवरी 2016
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जा

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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

26 फरवरी 2016
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विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए

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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

26 फरवरी 2016
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यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरूहोती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्

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श्री वैद्यनाथ शिवलिंग

26 फरवरी 2016
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श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।

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श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

26 फरवरी 2016
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यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कह

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श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

26 फरवरी 2016
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यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

26 फरवरी 2016
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घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षु

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शिव मानस पूजा स्तुति

26 फरवरी 2016
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बाबा औघड़नाथ मंदिर

26 फरवरी 2016
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यह मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य के  मेरठ महानगर में छावनी क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर सिद्ध क्षेत्र कहलाता है।यह मान्यता है, कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग  स्वयंभू है अर्थात यह शिवलिंग स्वयं पृथ्वी से बाहर निकला है। तभी यह सद्य  फलदाता है। भक्तों की मनोकामनाएं औंघड़दानी शिव स्वरूप में पूरी करने के स

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शिवजी, मेंढक की पीठ पर

26 फरवरी 2016
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लखीमपुर-खीरी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसमे  शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं I जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ओयल कस्बे में स्थित इस मन्दिर को मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाता है I इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि यहां नर्मदेश्वर महादेव का शिवलिंग रंग बदलता है, और यहां दुर्लभ खड़ी नंदी की मू

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बैजनाथ शिव मंदिर, पालमपुर

26 फरवरी 2016
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बैजनाथ में शिव भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा(पालमपुर) ज़िले में सुन्दर पहाड़ियों में स्थित है ,और पालमपुर का धार्मिक पर्यटन स्थल है। बैजनाथ मंदिर पालमपुर का एक प्रमुख स्थान है और यह शहर से 16 कि.मी. की दूरी पर है l ‘बैजनाथ शिव मंदिर’ भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ पर लोग दू

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भोजेश्वर मंदिर

26 फरवरी 2016
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भोजेश्वर मंदिर अथवा भोजपुर शिव मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रायसेन ज़िले की गोहरगंज तहसील के औबेदुल्लागंज विकास खण्ड में स्थित प्राचीन काल के इस मंदिर को यदि उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भोजपुर गाँव में पहाड़ी पर यह विशाल शिव मंद

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वडकुनाथन मंदिर, केरल

27 फरवरी 2016
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त्रिशूर एक सुन्दर प्राचीन शहर और केरल की सांस्कृतिक राजधानी है। नगर के मध्य में ही 9 एकड में फैला ऊंचे परकोटे वाला एक विशाल शिव मंदिर है जिसे वडकुनाथन कहते हैं। वडकुनाथन के इस मंदिर के चारों तरफ 60 एकड में फैला घना सागौन का जंगल था जिसे शक्तन तम्बुरान ने कटवा कर लगभग ३ किलोमीटर गोल सडक का निर्माण कर

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बृहदेश्वर मन्दिर

27 फरवरी 2016
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बृहदेश्वर  मन्दिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित शिव मन्दिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनावाया गया था। इसे तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण १००३-१०१० ई. के बीच चोल शासक राजाराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्

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थिल्लई नटराज मंदिर

27 फरवरी 2016
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यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है जो मंदिरों की नगरी चिदंबरम के मध्य में, पौंडीचेरी से दक्षिण की ओर 78 किलोमीटर की दूरी पर और कुड्डालोर जिले के उत्तर की ओर 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुड्डालोर जिला भारत के दक्षिणपूर्वीय राज्य तमिलनाडु का पूर्व-मध्य भाग है। संगम क्लासिक्स विडूवेल

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अन्नामलाईयर मंदिर

27 फरवरी 2016
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तमिलनाडु का अन्नामलाईयर मंदिर, हिन्दुओ का एक प्रमुख मंदिर है जो भगवान् शिव को समर्पित है I  यह मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकारी और इसके चारो ओर बने चार स्तम्भों के लिए जाना जाता है I इसकी ऊंचाई लगभग 66 मीटर है I

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एकम्बरेस्वरर मंदिर

27 फरवरी 2016
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एकम्बरेस्वरर मंदिर भी प्राचीन हिन्दू मंदिर है जो पुर्णतः भगवान् शिव को समर्पित है | यह कांचीपुरम, तमिलनाडु में स्थित मंदिर अत्यंत ही प्राचीन और आदरणीय है | यह शिव मंदिर पांच महा शिव मंदिरों और ‘पंचभूत महास्थलों’ में से एक है, जो पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है |ऐसा कहा जाता है की यहाँ की गयी शिव पूजा

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थिरुवनेयीकवल मंदिर

27 फरवरी 2016
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थिरुवनेयीकवल मंदिर, जिसे थिरुवनेयीकल मंदिर भी कहते है, भगवान् शिव को समर्पित है जो तिरुचिरापल्ली (त्रिची), तमिलनाडु में स्थित है I इस मंदिर का निर्माण राजा कोसन्गंनन चोल ने लगभग 1800 साल पहले करवाया था I यह मंदिर अपनी अद्भुत कारीगरी और कलात्मकता के लिए जाना जाता है I

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स्तंभेश्वर मन्दिर

27 फरवरी 2016
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हिंदू धर्म में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिनमें देवाधिदेव महादेव का विशिष्ट स्थान है। देश के अनेकानेक भव्य एवं अनोखे मंदिरों में से एक है गुजरात में स्थित स्तंभेश्वर मंदिर। यूं तो भारत में भगवान शिव के हजारों मंदिर हैं। लेकिन, गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-

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'ॐ नमः शिवाय' है अमोघ मन्त्र

27 फरवरी 2016
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पूजन-अर्चन, मन्त्र जप सहस्रों वर्षों से हमारी आस्था एवं विश्वास से जुड़े रहे हैं I शुभ फलों की प्राप्ति हेतु मनुष्य हर संभव प्रयत्न करता है I कुछ तो कारण है कि मन्त्र के रूप में  'ॐ नमः शिवाय' हमारी जिह्व्या पर रहता है। इसी क्रम में विद्वानों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र ब

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शिव गुणगान

27 फरवरी 2016
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“तस्मै नम: परम् कारण कारणाय, ब्रह्मेन्द्र विष्णु वरदाय। संसार, सृष्टी, घटना परिवर्तनाय, योगाए योग नमिताय नम: शिवाय॥जो (महादेव) सभी कारणों के भी परम् कारण हैं, जो कि ब्रह्मा, विष्णु एवं इन्द्र को भी वर दे कर अनुग्रहीत करने वाले हैं, जो कि संसार, सृष्टि एवं काल के हर स्वरूप में परिवर्तन करने में सक्षम

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शिव सहस्रनामावलि

27 फरवरी 2016
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आदि एवं अंत से रहित, सर्वेश्वर शिव देवाधिदेव हैं। मानव मात्र ही नहीं वरन देव, दानव, पशु-पक्षी, यहाँ तक की ईश्वर भी संकट के समय में शिव की ही शरण ग्रहण करते हैं। स्वयं पालनकर्ता श्री नारायण विष्णु भगवान ने शिव जी की सहस्रनामों से स्तुति कर उन्हे प्रसन्न किया था तथा अपना सुदर्शन चक्र पुन: प्राप्त किया

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शिवाष्टकम

27 फरवरी 2016
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शिव के प्रशंसा में अनेकों अष्टकों की रचना हुई है जो शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक जैसे नामों से प्रसिद्ध  हैं। शिवाष्टकों की संख्या भी कम नहीं है। प्रस्तुत शिवाष्टक आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित है। आठ पदों में विभक्त यह रचना परंब्रह्म शिव की पुजा एक उत्तम साधन है । तस्मै नम: परमकारण

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ब्रह्माकृत शिव स्तोत्रम

27 फरवरी 2016
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परमपिता ब्रह्मा ने परमात्मा एवं परंब्रह्म शिव की उपासना की थी। इस स्तोत्र को ब्रह्माकृत माना जाता है। ब्रह्माजी बोले कि हे भगवान! हे रुद्र! आपका तेज अनगिनत सूर्यों के तेज सा है I रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव! आपको नमस्कार है Iशर्वाय क्षितिरूपाय नंदीसुरभये नमः I ईशाय वसवे सुभ्यं नमः स्पर्शमया

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जय माँ अम्बे

8 अप्रैल 2016
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जो नाम जपें  जगदम्बे माँ  का,माँ  आदिशक्ति  कल्याण  करें  माँ अष्टभुजा, चामुंडा, वैष्णवी,माँ  दुर्गा जग का  उद्धार करें। नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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