परमपिता ब्रह्मा ने परमात्मा एवं परंब्रह्म शिव की उपासना की थी। इस स्तोत्र को ब्रह्माकृत माना जाता है।
ब्रह्माजी बोले कि हे भगवान! हे रुद्र! आपका तेज अनगिनत सूर्यों के तेज सा है I रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव! आपको नमस्कार है I
शर्वाय क्षितिरूपाय नंदीसुरभये नमः I
ईशाय वसवे सुभ्यं नमः स्पर्शमयात्मने II
नंदी और सुरभि कामधेनु भी आपके ही प्रतिरूप हैं I पृथ्वी को धारण करनेवाले हे शर्वदेव! आपको नमस्कार है I हे वायुरुपधारी, वसुरुपधारी आपको नमस्कार है I
पशूनां पतये चैव पावकायातितेजसे I
भीमाय व्योम रूपाय शब्द मात्राय ते नमः II
अग्निरुप तेज व पशुपति रूपवाले हे देव! आपको नमस्कार है I शब्द तन्मात्रा से युक्त आकाश रूपवाले हे भीमदेव! आपको नमस्कार है !
उग्रायोग्रास्वरूपाय यजमानात्मने नमः I
महाशिवाय सोमाय नमस्त्वमृत मूर्तये II