शिवरात्रि : परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व
25 फरवरी 2016
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को चन्द्रमा सूर्य के समीप होता है। अत: यह तिथि जीवन रूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग का समय होता है। इस प्रकार इस शुभ तिथि में शिवपूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। यही शिवरात्रि का विशेष महत्त्व है। महाशिवरात्रि का पर्व परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। भगवन शिव की कृपा मनुष्य को काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्त करके परमसुख, शान्ति एवं ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।
किसी मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 'शिवरात्रि' कही जाती है, किन्तु माघ (फाल्गुन, पूर्णिमान्त) की चतुर्दशी सबसे महत्त्वपूर्ण है और महाशिवरात्रि कहलाती है। विभिन्न पुराणों में महाशिवरात्रि के महात्म्य का प्रशस्य वर्णन है। मान्यता है कि जो भक्तगण इस तिथि में उपवास करके बिल्व पत्र से भगवान शिव की पूजा और रात्रि जागरण करते हैं, भगवान शिव उन्हें नरक से बचाते हैं और आनन्द एवं मोक्ष प्रदान करते हैं I दान, यज्ञ, तप, तीर्थ यात्राएँ एवं व्रत आदि इसके कोटि अंश के भी बराबर नहीं होते।
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D