आज सुबह बच्चों की छुट्टी थी तो सोचा थोड़ा घूम-फिर के आ जाऊँ। थोड़ा देर से जागी थी इसलिए घर से थोड़ी दूर ही एक पार्क में टहलने लगी। वहां एक सज्जन भी टहल रहे थे। टहलते-टहलते मैंने देखा कि पार्क के एक कोने में ३ छोटे-छोटे बच्चे 'अबे मुझे भी दे, अबे मुझे भी दे' कहते सुनाये दिए। पहले तो मैं कुछ समझी नहीं लेकिन जैसे ही चुपके-चुपके मैं उनके करीब पहुंची तो मैंने देखा कि वे जूते चिपकाने जैसे सोलुशन को सूँघ रहे थे। मैं जैसे ही उनसे कुछ पूछती वे मुझे देख 'अबे भागो' कहते हुए भाग खड़े हुए। मैं 'रुको-रोको' चिल्लाते हुए उनके पीछे-पीछे भागी तो वह सज्जन मुझसे कहने लगे -'अरे मैडम, आप कहाँ इनके पीछे बेकार में ही भागी जा रही हैं।' मैंने कहा-' क्या मतलब? क्या आप इन्हें जानते हैं?' तो वे सज्जन मुस्कुराते हुए बोले - 'अरे मैडम इन्हें कौन नहीं जानता, यह तो इनका रोज का काम है, ये तो सुबह-सुबह यहाँ आकर रोज कुछ सूँघते रहते हैं। नशेड़ी हैं। शायद आपने इन्हें यहाँ पहली बार देखा है , इसलिए भाग रही थी उनके पीछे। " मैंने कहा 'हाँ, मैं पहली तो नहीं लेकिन बहुत दिन बाद इधर आयी हूँ लेकिन यदि आप इन्हें हर सुबह यहाँ नशा करते देखते हैं तो आपको टोकना चाहिए था उन्हें कि नहीं।" मेरी बात सुनकर वे हँसते हुए बोले, ' मैं ही क्या और भी लोग देखते हैं और उनकों भला कौन मना करेंगे, बड़े बद्तमीज होते हैं ऐसे बच्चे, फिर ऐसे बच्चों के मुँह भला कौन लगे।" मैं कुछ कहती इससे पहले ही वे सज्जन आगे बढ़ गए। मैंने पीछे से उन्हें टोकना उचित नहीं समझा लेकिन मैं सोचती रही कि यहाँ पार्क में आकर ये बच्चे एक कोने में नशा करते हैं और कोई कुछ नहीं बोलता। माना कि उनके घर-परिवार का माहौल ही ऐसा है फिर भी क्या हमें कोशिश नहीं करनी चाहिए उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए। अगर उनकी जगह उनके या किसी अच्छे घर के बच्चे होते तो क्या फिर ये सज्जन ऐसी ही बात करते।
क्या आपको नहीं लगता है कि कोई कैसा भी और किसी का भी बच्चा हो , अगर हमें कहीं भी नशा करते दिखता हैं तो हमें उसे रोकने की कोशिश नहीं करने चाहिए? जरा सोचिए तो ... मेरे और उनके बच्चों में अंतर क्यों?