shabd-logo

मेरे और उनके बच्चों में अंतर

9 मार्च 2022

31 बार देखा गया 31

आज सुबह बच्चों की छुट्टी थी तो सोचा थोड़ा घूम-फिर के आ जाऊँ। थोड़ा देर से जागी थी इसलिए घर से थोड़ी दूर ही एक पार्क में टहलने लगी। वहां एक सज्जन भी टहल रहे थे। टहलते-टहलते मैंने देखा कि पार्क के एक कोने में ३ छोटे-छोटे बच्चे 'अबे मुझे भी दे, अबे मुझे भी दे' कहते सुनाये दिए। पहले तो मैं कुछ समझी नहीं लेकिन जैसे ही चुपके-चुपके मैं उनके करीब पहुंची तो मैंने देखा कि वे जूते चिपकाने जैसे सोलुशन को सूँघ रहे थे। मैं जैसे ही उनसे कुछ पूछती वे मुझे देख 'अबे भागो' कहते हुए भाग खड़े हुए। मैं 'रुको-रोको' चिल्लाते हुए उनके पीछे-पीछे भागी तो वह सज्जन मुझसे कहने लगे -'अरे मैडम, आप कहाँ इनके पीछे बेकार में ही भागी जा रही हैं।' मैंने कहा-' क्या मतलब? क्या आप इन्हें जानते हैं?' तो वे सज्जन मुस्कुराते हुए बोले - 'अरे मैडम इन्हें कौन नहीं जानता, यह तो इनका रोज का काम है, ये तो सुबह-सुबह यहाँ आकर रोज कुछ सूँघते रहते हैं। नशेड़ी हैं। शायद आपने इन्हें यहाँ पहली बार देखा है , इसलिए भाग रही थी उनके पीछे। " मैंने कहा 'हाँ, मैं पहली तो नहीं लेकिन बहुत दिन बाद इधर आयी हूँ लेकिन यदि आप इन्हें हर सुबह यहाँ नशा करते देखते हैं तो आपको टोकना चाहिए था उन्हें कि नहीं।" मेरी बात सुनकर वे हँसते हुए बोले, ' मैं ही क्या और भी लोग देखते हैं और उनकों भला कौन मना करेंगे, बड़े बद्तमीज होते हैं ऐसे बच्चे, फिर ऐसे बच्चों के मुँह भला कौन लगे।" मैं कुछ कहती इससे पहले ही वे सज्जन आगे बढ़ गए। मैंने पीछे से उन्हें टोकना उचित नहीं समझा लेकिन मैं सोचती रही कि यहाँ पार्क में आकर ये बच्चे एक कोने में नशा करते हैं और कोई कुछ नहीं बोलता। माना कि उनके घर-परिवार का माहौल ही ऐसा है फिर भी क्या हमें कोशिश नहीं करनी चाहिए उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए। अगर उनकी जगह उनके या किसी अच्छे घर के बच्चे होते तो क्या फिर ये सज्जन ऐसी ही बात करते।  

क्या आपको नहीं लगता है कि कोई कैसा भी और किसी का भी बच्चा हो , अगर हमें कहीं भी नशा करते दिखता हैं तो हमें उसे रोकने की कोशिश नहीं करने चाहिए? जरा सोचिए तो ... मेरे और उनके बच्चों में अंतर क्यों?

Pragya pandey

Pragya pandey

यथार्थ लिखा है आपने 🙏😊

10 मार्च 2022

15
रचनाएँ
दैनन्दिनी : आस-पास की दुनिया
5.0
इस पुस्तक को आप कुछ अपनी और कुछ बाहर की बातों का लेखा-जोखा समझ लीजिए।
1

शिव-पार्वती की बारात में

1 मार्च 2022
9
4
2

आज महाशिवरात्रि है और मैं बचपन से ही उपवास रखकर भोलेशंकर की पूजा आराधना करती आ रही हूँ। आज सुबह छुट्टी का दिन था और मेरे लिए यह देर तक सोते रहने का दिन होता है। इसलिए जब-जब सरकारी छुट्टी रहती हैं,

2

ऑफिस वाला जन्मदिन

2 मार्च 2022
3
2
1

कल शिव बारात में चटक धूप भरी दुपहरी में साबू दाने की खीर और खिचड़ी के साथ ठंडाई के सहारे रास्ते भर ढोल-नगाड़े और डीजे पर बड़े जोर-शोर से बजने वाले शिव भक्ति गीतों में झूमते-झामते मन तरंगित हुआ तो आज

3

उफ़! ये आजकल के बच्चों के नखरे

3 मार्च 2022
3
3
0

इन दिनों मेरे बेटे का १० वीं के प्री-बोर्ड के पेपर चल रहे हैं।  कल उसका आईटी का पेपर हैं।  आज बड़े सवेरे उसके पंच मित्र मण्डली में से सबसे घनिष्ठ मित्र अश्विन आ धमका।  इतनी सुबह उसे आता देखकर मैं च

4

गरीबी में डॉक्टरी के बारे में

4 मार्च 2022
4
1
1

आज की दैनंदिनी केवल और केवल पुस्तक लेखन प्रतियोगता में समिल्लित मेरी 'गरीबी में डॉक्टरी'  कहानी संग्रह में संकलित १० कहानियों में से मुख्य कहानी 'गरीबी में डॉक्टरी' के मुख्य पात्र 'एक और मांझी- धर

5

बगुले भक्तों की फौज

6 मार्च 2022
0
0
0

आज दैनन्दिनी के लिए मेरी एक कविताई -   यहाँ-वहाँ, जहाँ-जहाँ देखो एक फौज ऐसी मिलती है  चोरी-चुपके सामने आकर जो अपनी छाप छोड़ती है ये फौज पहले कम थी, पर आज बढ़ती जा रही है  जो दीन-ईमान वालों पर बहुत

6

मेरे और उनके बच्चों में अंतर

9 मार्च 2022
2
2
1

आज सुबह बच्चों की छुट्टी थी तो सोचा थोड़ा घूम-फिर के आ जाऊँ। थोड़ा देर से जागी थी इसलिए घर से थोड़ी दूर ही एक पार्क में टहलने लगी। वहां एक सज्जन भी टहल रहे थे। टहलते-टहलते मैंने देखा कि पार्क के एक कोन

7

सुबह-सवेरे की दौड़-भाग

10 मार्च 2022
2
2
2

कल रात पहले घर के सभी सदस्यों के लिए उनकी पसंद का खाना बनाने, खिलाने और फिर ऑफिस का कुछ काम निपटाने में बहुत समय लगा तो काफी देर रात सो पाई तो आज सुबह जरा देर से आँख खुली। मेरे मिस्टर तो जाने कब जल्दी

8

ये भी खूब रही

11 मार्च 2022
3
1
1

आज ऑफिस में लंच के बाद जब थोड़ा टहलने के लिए दूसरी मंजिल से नीचे उतरी तो गेट के सामने हमारे एक बाबू और एक ड्राइवर के बीच जोर-शोर से   बहस चल रही थी। मैंने पहले सोचा कि पास जाकर उन दोनों को टोकूं लेकिन

9

अमीर-गरीब के अपने-अपने हिस्से

14 मार्च 2022
2
0
0

आज सुबह ऑफिस जाते समय जब विशिष्ट प्रतिष्ठित गणमान्य कहलाने वाले नागरिकों के क्षेत्र से गुजर रही थी तो अचानक एक नाले की चमक-दमक देख मेरी अँखियाँ चौंधिया के रह गई। जहाँ एक ओर भीड़-भाड़ वाली बस्तियों म

10

बच्चों के संग होली के रंग

17 मार्च 2022
1
0
0

आज दोहरी ख़ुशी मिली। पहली मेरे बेटे का 10 वीं सीबीएसई बोर्ड के फर्स्ट टर्म के रिजल्ट आया, जिसमें उसने 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। मैं उससे कहती कि बेटा यदि केवल पढाई पर ध्यान देता तो कम से कम 99 या फ

11

होली और पानी बचाने की आवश्यकता

18 मार्च 2022
0
0
0

आज भले ही होली की छुट्टी थी लेकिन अपनी छुट्टी कहाँ? सुबह से ही बच्चों की फरमाइश कि ये बनाकर खिलाओ, वो बनाकर खिलाओ के बीच होली की उधेड़बुन में भूली-बिसरी होली के रंगों में डूब हिचकोले खाती रही। दिन मे

12

माँ सा दूजा कोई नहीं

23 मार्च 2022
0
0
0

आज सुबह-सुबह जब घूमने निकली तो हमारा रॉकी भी मेरे साथ चल पड़ा। रॉकी हमेशा कहीं भी घर से निकलो नहीं कि वह बाहर साथ चलने को तैयार बैठा मिलता है। ऐसा लगता है जैसे उसे पहले से भी भनक लग जाती है। सुबह-सु

13

लड़के क्यों लड़कियों की तरह अपने माँ-बाप की सेवा नहीं कर पाते हैं?

25 मार्च 2022
5
0
1

जब भी माँ की तबियत ज्यादा ख़राब होती है तो वह मुझे फ़ोन लगाकर बताती हैं। माँ की गाड़ी दवाईयों के भरोसे तो जैसे-तैसे चल ही रही है, लेकिन जब भी वह कुछ उल्टा-सीधा कुछ खा लेती है तो उसे पेट सम्बन्धी तमाम बीम

14

मैं नशे में हूँ

27 मार्च 2022
2
0
0

कल रात जब जब खाना खाकर मेरा बेटा बाहर सड़क पर टहल रहा था तो उसने देखा कि सड़क पर एक महिला जिसकी उम्र यही कोई ३०-३२ के आस-पास रही होगी, वह सड़क पर बैठी रो रही थी। सड़क पर आने-जाने वाले उसे देखकर भी अन

15

तब हमारे बड़े-बुजुर्ग भी कम नादान नहीं थे

30 मार्च 2022
3
2
0

आज सुबह की सैर करते समय हमारे गाँव के एक दादा जी रास्ते में टकरा गए। हम तो उन्हें पहचान नहीं पाए, क्योंकि कई वर्ष से उन्हें देखा नहीं था। वह तो उनके साथ उनका पोता था, जो यहीं भोपाल में रहता है, उसने प

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए