आज महाशिवरात्रि है और मैं बचपन से ही उपवास रखकर भोलेशंकर की पूजा आराधना करती आ रही हूँ। आज सुबह छुट्टी का दिन था और मेरे लिए यह देर तक सोते रहने का दिन होता है। इसलिए जब-जब सरकारी छुट्टी रहती हैं, मैं देर से जागती हूँ। लेकिन आज हमारे भोलेनाथ का दिन है, इसलिए सूर्य उगने से पहले नहा-धोकर सबसे पहले श्यामला हिल्स स्थित जलेश्वर मंदिर गए और शंकर जी पूजा कर घर लौट आये। सुबह-सुबह इसलिए जाना पड़ता है क्योंकि बाद में जाने पर मंदिर में बहुत भीड़-भाड़ हो जाती है और फिर न ढंग से पूजा और नहीं दर्शन हो पाते हैं। घर आकर थोड़ा बहुत फलाहार किया तो मेरी छोटी बहिन का फ़ोन आ गया कि जल्दी उसके घर आकर खीर और साबुत दाने की खिचड़ी बनाने में उसकी मदद करो। क्योंकि हर साल की तरह इस बार भी जवाहर चौक से शिव बारात निकालनी है जहाँ खीर और साबुत दाने की खिचड़ी का प्रसाद बनाकर पहुँचाना है। बस फिर क्या अपने शिव जी की बारात हो और हम उनके लिए कुछ न करे, ऐसे कैसे हो सकता है। साल भर में एक बार तो यह अवसर मिलता है, सोचकर निकल पड़े और खीर और साबूदाने की खिचड़ी पकाकर शिवजी की बारात में शामिल हो गए। दिन में ४ घंटे तक बारात में नाचते-झूमते रहे। धूप बहुत थी, रास्ते में प्यास लग रही थे लेकिन जगह-जगह श्रद्धालुजनों ने सरबत और पानी की व्यवस्था रखी तो बड़ी राहत मिलती रही। बारात में अपने कई पुराने-नए परिचित मिल गए तो इसी बहाने कुछ अपनी तो कुछ उनकी दो चार बातें भी चलती रहे। कितना अच्छा लगता है न, यदि कभी ऐसा मौका मिलता है।
कहते हैं कि जो लोग शिवरात्रि का व्रत रखते हैं, उन्हें कामधेनु, कल्पवृक्ष और चिंतामणि के सदृश मनोवांछित फल प्राप्त होता है। लेकिन कामधेनु, कल्पवृक्ष और चिंतामणि के सदृश मनोवांछित फल किसे मिलता है, यह तो मैं नहीं जानती लेकिन महाशिवरात्रि का व्रत रखकर उनकी पूजा अर्चना के बाद जब भी मैं शिव-पार्वती बारात में शामिल होती हूँ तो मुझे आत्मीय शांति का अनुभव जरूर होता है।
फिर मिलते हैं .... तब तक आप गाते रहिए-
मेरा भोला है भंडारी,
करता नंदी कि सवारी
भोले नाथ रे, ओ शंकर नाथ रे
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