कल रात पहले घर के सभी सदस्यों के लिए उनकी पसंद का खाना बनाने, खिलाने और फिर ऑफिस का कुछ काम निपटाने में बहुत समय लगा तो काफी देर रात सो पाई तो आज सुबह जरा देर से आँख खुली। मेरे मिस्टर तो जाने कब जल्दी सुबह उठकर बाहर से दरवाजे पर ताला लगाकर घूमने निकल गए कि पता ही नहीं चला। अलार्म भी पहले से सात बजे का लगा रखा था, इसलिए वह अपने समय पर बजा, लेकिन आज सुबह बच्चे का स्कूल है, ये बात भूल गई थी। वैसे तो मेरा बेटा मेरे से पहले जाग जाता है लेकिन आज उसकी भी नींद नहीं खुली। अब जब मैंने देखा कि अरे आधे घंटे का ही समय तो मैं किचन में भागी और बच्चे को कहा कि तू कपड़ों में जल्दी से प्रेस कर ले। इतने में मिस्टर भी बाहर से ताला खोलकर आ गए। मैंने उन्हें सुनाया कि समय पर आना चाहिए था तो वे बोले कि मैं तो समय पर आ गया हूँ, मैं तो उसे छोड़ने जाता हूँ यही तो मेरा काम है। मैंने उन्हें बच्चे के कपड़ों में प्रेस करने को कहा तो उन्होंने बताया कि बच्चा देर होने से बहुत गुस्से में है और बिलकुल मुँह बंद कर कोप भवन में जाने की मुद्रा में है। खैर जैसे-तैसे उसके लिए नाश्ता बनाया, चाय पिलाई और स्कूल भेजा तो कुछ राहत मिले।
बच्चे को स्कूल छोड़ने के बाद मिस्टर ने आकर मुझे बताया कि उसने रास्ते भर बात नहीं कि और जब स्कूल में ठीक समय पर पहुँच गया तो थोड़ा मुस्कुराया और कहने लगा कि कल पापा देर से स्कूल लेने आये और आज माँ ने देर कर ही दी थी लेकिन कोई बात नहीं ठीक समय पर पहुँच गए, नहीं तो वापस आना पड़ता। मैं खाना बनाते-बनाते सोचती रही कि मेरा बेटा जब गुस्से में होता है तो कुछ नहीं बोलता, एकदम मुँह बंद कर देता है, फिर उसे दुनिया की कोई ताकत न हँसा सकती है, न उसके चेहरे पर मुस्कराहट की भाव जगा सकती हैं। लेकिन उसकी ये खासियत है कि वह सही समय पर स्कूल पहुँचता है और अपने स्कूल के काम में कोई कोताई नहीं बरतता है। मेरे मिस्टर और मेरा बेटा मेरी बहुत मदद करते हैं। मेरे मिस्टर मेरे संपादक, प्रूफ रीडर, प्रचार-प्रसार करने वाले तो मेरा बेटा मेरे ब्लॉग हो या कोई भी पोस्ट के लिए बहुत सुन्दर चित्र बनता है। अभी 'गरीबी में डॉक्टरी' कहानियों के लिए वह धीरे-धीरे कहानी को पढ़कर उनके लिए चित्र बनता है। क्योंकि अभी उसकी दसवीं प्री बोर्ड के पेपर हुए है और उसे आगे फाइनल की तैयारी करनी होती है, इसलिए वह धीरे-धीरे सोच-सोच कर खुद ही चित्र बना लेता है तो मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। मेरी किताब का कवर पेज भी उसी ने अपने मन से बनाया है तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा।
शेष फिर ...