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ये भी खूब रही

11 मार्च 2022

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आज ऑफिस में लंच के बाद जब थोड़ा टहलने के लिए दूसरी मंजिल से नीचे उतरी तो गेट के सामने हमारे एक बाबू और एक ड्राइवर के बीच जोर-शोर से 

 बहस चल रही थी। मैंने पहले सोचा कि पास जाकर उन दोनों को टोकूं लेकिन फिर सोचा जरा सुनूं तो आखिर माजरा है इसलिए चुपचाप इधर से उधर धीरे-धीरे उनकी बहस सुनती रही। जब काफी देर तक उन्हें सुनने के बाद भी मेरी समझ में उनकी बहस का कारण पता न चला तो मैं उनके करीब गई और जैसे ही उनसे पूछने वाली थी कि बाबू मुझे देखते ही ड्राइवर की तरह ऊँगली करते हुए बोल पड़ा, 'अरे मैडम आप ही इससे पूछो कि यह हर दिन कुत्तों के लिए बिस्कुट लाकर मेरे समझाने के बाद भी क्यों खिलाता है?" मैं ड्राइवर से पूछती इससे पहले ही वह बोला ,"मैडम क्या कुत्तों को बिस्कुट खिलाना कोई गुनाह है क्या?" उसका इस तरह मुझसे ही सवाल पूछना मुझे बड़ा अटपटा लगा, मैं बोली ,"गुनाह तो नहीं, लेकिन ... "मैं अपनी बात पूरी कर पाती कि वह बाबू को सुनाते हुआ बोला ,"देखा, सुन लिया मैडम क्या कह रही है?" बाबू बोला, " सुना लेकिन तू क्या कभी किसी को अपनी बात पूरी करने देता है क्या?" ड्राइवर तुरंत बोला,'कौन सी बात" 

"यही कि मैडम आगे कहना चाह रही थी कि तू कुत्तों को बिस्कुट नहीं खिलाता जहर देता है? क्यों मैडम?" उसने कहा तो मैंने उन्हें समझाया कि हां बात तो ठीक है यदि कुत्तों को मीठे बिस्कुट की जगह रोटी खिलाई जाय तो उन्हें खुजली नहीं होगी और वे दूसरे रोगों से भी बच जाएंगे। मेरी बात सुनकर बाबू तो खुश हुआ लेकिन ड्राइवर धीमे स्वर में 'हाँ मैडम कल से ऐसा ही करूँगा' कहते हुए निकल गया। मैं भी अपने केबिन की ओर चल पड़ी। ,मैंने सोचा चलो ये भी खूब रही। 

शेष फिर .. 

भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया

12 मार्च 2022

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रचनाएँ
दैनन्दिनी : आस-पास की दुनिया
5.0
इस पुस्तक को आप कुछ अपनी और कुछ बाहर की बातों का लेखा-जोखा समझ लीजिए।
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शिव-पार्वती की बारात में

1 मार्च 2022
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आज महाशिवरात्रि है और मैं बचपन से ही उपवास रखकर भोलेशंकर की पूजा आराधना करती आ रही हूँ। आज सुबह छुट्टी का दिन था और मेरे लिए यह देर तक सोते रहने का दिन होता है। इसलिए जब-जब सरकारी छुट्टी रहती हैं,

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ऑफिस वाला जन्मदिन

2 मार्च 2022
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कल शिव बारात में चटक धूप भरी दुपहरी में साबू दाने की खीर और खिचड़ी के साथ ठंडाई के सहारे रास्ते भर ढोल-नगाड़े और डीजे पर बड़े जोर-शोर से बजने वाले शिव भक्ति गीतों में झूमते-झामते मन तरंगित हुआ तो आज

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उफ़! ये आजकल के बच्चों के नखरे

3 मार्च 2022
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इन दिनों मेरे बेटे का १० वीं के प्री-बोर्ड के पेपर चल रहे हैं।  कल उसका आईटी का पेपर हैं।  आज बड़े सवेरे उसके पंच मित्र मण्डली में से सबसे घनिष्ठ मित्र अश्विन आ धमका।  इतनी सुबह उसे आता देखकर मैं च

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गरीबी में डॉक्टरी के बारे में

4 मार्च 2022
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आज की दैनंदिनी केवल और केवल पुस्तक लेखन प्रतियोगता में समिल्लित मेरी 'गरीबी में डॉक्टरी'  कहानी संग्रह में संकलित १० कहानियों में से मुख्य कहानी 'गरीबी में डॉक्टरी' के मुख्य पात्र 'एक और मांझी- धर

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बगुले भक्तों की फौज

6 मार्च 2022
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आज दैनन्दिनी के लिए मेरी एक कविताई -   यहाँ-वहाँ, जहाँ-जहाँ देखो एक फौज ऐसी मिलती है  चोरी-चुपके सामने आकर जो अपनी छाप छोड़ती है ये फौज पहले कम थी, पर आज बढ़ती जा रही है  जो दीन-ईमान वालों पर बहुत

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मेरे और उनके बच्चों में अंतर

9 मार्च 2022
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आज सुबह बच्चों की छुट्टी थी तो सोचा थोड़ा घूम-फिर के आ जाऊँ। थोड़ा देर से जागी थी इसलिए घर से थोड़ी दूर ही एक पार्क में टहलने लगी। वहां एक सज्जन भी टहल रहे थे। टहलते-टहलते मैंने देखा कि पार्क के एक कोन

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सुबह-सवेरे की दौड़-भाग

10 मार्च 2022
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कल रात पहले घर के सभी सदस्यों के लिए उनकी पसंद का खाना बनाने, खिलाने और फिर ऑफिस का कुछ काम निपटाने में बहुत समय लगा तो काफी देर रात सो पाई तो आज सुबह जरा देर से आँख खुली। मेरे मिस्टर तो जाने कब जल्दी

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ये भी खूब रही

11 मार्च 2022
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14 मार्च 2022
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आज सुबह ऑफिस जाते समय जब विशिष्ट प्रतिष्ठित गणमान्य कहलाने वाले नागरिकों के क्षेत्र से गुजर रही थी तो अचानक एक नाले की चमक-दमक देख मेरी अँखियाँ चौंधिया के रह गई। जहाँ एक ओर भीड़-भाड़ वाली बस्तियों म

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17 मार्च 2022
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आज दोहरी ख़ुशी मिली। पहली मेरे बेटे का 10 वीं सीबीएसई बोर्ड के फर्स्ट टर्म के रिजल्ट आया, जिसमें उसने 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। मैं उससे कहती कि बेटा यदि केवल पढाई पर ध्यान देता तो कम से कम 99 या फ

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आज भले ही होली की छुट्टी थी लेकिन अपनी छुट्टी कहाँ? सुबह से ही बच्चों की फरमाइश कि ये बनाकर खिलाओ, वो बनाकर खिलाओ के बीच होली की उधेड़बुन में भूली-बिसरी होली के रंगों में डूब हिचकोले खाती रही। दिन मे

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आज सुबह-सुबह जब घूमने निकली तो हमारा रॉकी भी मेरे साथ चल पड़ा। रॉकी हमेशा कहीं भी घर से निकलो नहीं कि वह बाहर साथ चलने को तैयार बैठा मिलता है। ऐसा लगता है जैसे उसे पहले से भी भनक लग जाती है। सुबह-सु

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25 मार्च 2022
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कल रात जब जब खाना खाकर मेरा बेटा बाहर सड़क पर टहल रहा था तो उसने देखा कि सड़क पर एक महिला जिसकी उम्र यही कोई ३०-३२ के आस-पास रही होगी, वह सड़क पर बैठी रो रही थी। सड़क पर आने-जाने वाले उसे देखकर भी अन

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तब हमारे बड़े-बुजुर्ग भी कम नादान नहीं थे

30 मार्च 2022
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आज सुबह की सैर करते समय हमारे गाँव के एक दादा जी रास्ते में टकरा गए। हम तो उन्हें पहचान नहीं पाए, क्योंकि कई वर्ष से उन्हें देखा नहीं था। वह तो उनके साथ उनका पोता था, जो यहीं भोपाल में रहता है, उसने प

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