shabd-logo

उफ़! ये आजकल के बच्चों के नखरे

3 मार्च 2022

46 बार देखा गया 46


article-image

इन दिनों मेरे बेटे का १० वीं के प्री-बोर्ड के पेपर चल रहे हैं।  कल उसका आईटी का पेपर हैं।  आज बड़े सवेरे उसके पंच मित्र मण्डली में से सबसे घनिष्ठ मित्र अश्विन आ धमका।  इतनी सुबह उसे आता देखकर मैं चौंक गई। पूछने पर उसने बताया कि कल आईटी का पेपर है न, कुछ प्रॉब्लम है, इसलिए अर्जित से समझने चला आया।  मैंने उससे कहा चाय-नाश्ता बनाती हूँ, क्या खायेगा तो कहने लगा कुछ भी जो सबके लिए बनाओ वही खा लूँगा। मैंने कहा ठीक है और मैं किचन में चली गई।  दोनों लैपटॉप लेकर पढ़ाई करने बैठ गए। मैंने उन्हें चाय के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। मैं यह सोचकर कि जब तक नाश्ता बनता है तब तक थोड़ा अंकुरित चने, मूँग की दाल, मूंगफली के दानों के साथ अनार, सेब, अँगूर और गाजर मिलाकर उन्हें दे आई, लेकिन जब एक घंटे बाद प्लेट उठाने आई तो मैंने देखा कि उन्होंने उसमें से थोड़ा बहुत ही वह भी बीन-बीन कर खा रखा था। जब मैंने डाँट लगाई तो तब उन्होंने जल्दी से उसे खाकर प्लेट मुझे दी। मैं सोचने लगी कि ये आजकल के बच्चों के खाने में नखरे, भगवान बचाये इनसे।

मैं बता दूँ कि हमारा सुबह का नाश्ता पोहा, जलेबी, ब्रेड-अंडा, उपमा, ढ़ोकला, इडली सांभर जैसा कुछ नहीं होता।  सुबह का नाश्ता और दिन का खाना एक ही रहता है। मैं और पतिदेव को ऑफिस जाना होता है तो हमें दिन में लंच के लिए रोटी और सब्जी ले जानी होती है। इसलिए रोटी और सब्जी ही जरूर बनती हैं और वही हम सबके लिए सुबह का नाश्ता है और रही बात बच्चों के दिन के भोजन की उसके लिएं सब्जी-रोटी तो रहती ही है, साथ में और दाल-चावल भी बनाकर जाती हूँ। आज भी मैंने नाश्ता के रूप में रोटी और सब्जी में भरवी भिंडी बनाई और बच्चों के लंच के लिए दाल चावल बनाया। जब मैं बेटे और उसके दोस्त के लिए रोटी और भरवी भिंडी ले गई तो उसका दोस्त थाली देखते ही मुँह बिचकाते हुए बोला,'आंटी मैं भिंडी नहीं खाता।" मैंने आश्चर्य से पूछा, " अरे बेटा, अभी कुछ देर पहले तो तूने कहा था कि मैं सबकुछ खाता हूँ, फिर क्या हुआ? " वह कुछ सकुचाते हुए बोला, "आंटी वो क्या है मैं खाता तो सबकुछ हूँ, लेकिन  ....."   वह बोलते-बोलते अटक गया और फिर कुछ याद करने लगा।  मैंने कहा,"  लेकिन क्या बेटा, बता तो?" वह थोड़ा मुस्कुराते बोला,"आंटी वो क्या है कि सब्जी तो मैं सब खा लेता हूँ, लेकिन ४ सब्जी छोड़कर- भिंडी, गोभी, करेला और लौकी। " मुझे उसकी बात सुनकर हँसी आयी,  मैंने फिर पूछा, "बेटा, अगर ये चार सब्जी तू छोड़ देता है तो फिर कौन से सब्जी  खाता है। " तो वह जोर से हँसकर बोला,"कद्दू, कद्दू मुझे बहुत पसंद है।" मुझे भी बहुत हँसी आई और मैंने हँसते-हँसते पूछा ,"दाल चावल तो खाता है न?" वह बोला ,"जी आंटी, वह तो मैं खूब खाता हूँ।" यह सुनकर मुझे बड़ी राहत मिली कि चलो दाल-चावल तो खाता है, नहीं तो बेचारे को क्या नाश्ता देती। मैंने जल्दी बेटे को सब्जी-रोटी और उसे दाल चावल दिए और फिर उन्हें हड़काते हुई ऑफिस निकलने की तैयारी करते-करते उन्हें हिदायत दी कि ,' पूरा खाना खाना, कुछ छोड़ना नहीं।  मैं ऑफिस जाकर फ़ोन लगाऊँगी तब तक खाना ख़तम हो जाना चाहिए। उन्होंने अपनी-अपनी मुंडी हिलाकर 'हाँ' में  संकेत दिया तो मैं ऑफिस के लिए रवाना हो गई। 

चलते-चलते सोच रही थी कि उफ़ ये ' आजकल के बच्चों के नखरे'    और एक हमारा जमाना था, अब पूछो मत ...........  दिल दुःखता है कहते हुए भी ................. 

तो आज इतना ही  फिर मिलते है, तब तक आप गुनगुनाते रहिए -

बच्चे मन के सच्चे
सारी जग के आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे 

.......................... 

15
रचनाएँ
दैनन्दिनी : आस-पास की दुनिया
5.0
इस पुस्तक को आप कुछ अपनी और कुछ बाहर की बातों का लेखा-जोखा समझ लीजिए।
1

शिव-पार्वती की बारात में

1 मार्च 2022
9
4
2

आज महाशिवरात्रि है और मैं बचपन से ही उपवास रखकर भोलेशंकर की पूजा आराधना करती आ रही हूँ। आज सुबह छुट्टी का दिन था और मेरे लिए यह देर तक सोते रहने का दिन होता है। इसलिए जब-जब सरकारी छुट्टी रहती हैं,

2

ऑफिस वाला जन्मदिन

2 मार्च 2022
3
2
1

कल शिव बारात में चटक धूप भरी दुपहरी में साबू दाने की खीर और खिचड़ी के साथ ठंडाई के सहारे रास्ते भर ढोल-नगाड़े और डीजे पर बड़े जोर-शोर से बजने वाले शिव भक्ति गीतों में झूमते-झामते मन तरंगित हुआ तो आज

3

उफ़! ये आजकल के बच्चों के नखरे

3 मार्च 2022
3
3
0

इन दिनों मेरे बेटे का १० वीं के प्री-बोर्ड के पेपर चल रहे हैं।  कल उसका आईटी का पेपर हैं।  आज बड़े सवेरे उसके पंच मित्र मण्डली में से सबसे घनिष्ठ मित्र अश्विन आ धमका।  इतनी सुबह उसे आता देखकर मैं च

4

गरीबी में डॉक्टरी के बारे में

4 मार्च 2022
4
1
1

आज की दैनंदिनी केवल और केवल पुस्तक लेखन प्रतियोगता में समिल्लित मेरी 'गरीबी में डॉक्टरी'  कहानी संग्रह में संकलित १० कहानियों में से मुख्य कहानी 'गरीबी में डॉक्टरी' के मुख्य पात्र 'एक और मांझी- धर

5

बगुले भक्तों की फौज

6 मार्च 2022
0
0
0

आज दैनन्दिनी के लिए मेरी एक कविताई -   यहाँ-वहाँ, जहाँ-जहाँ देखो एक फौज ऐसी मिलती है  चोरी-चुपके सामने आकर जो अपनी छाप छोड़ती है ये फौज पहले कम थी, पर आज बढ़ती जा रही है  जो दीन-ईमान वालों पर बहुत

6

मेरे और उनके बच्चों में अंतर

9 मार्च 2022
2
2
1

आज सुबह बच्चों की छुट्टी थी तो सोचा थोड़ा घूम-फिर के आ जाऊँ। थोड़ा देर से जागी थी इसलिए घर से थोड़ी दूर ही एक पार्क में टहलने लगी। वहां एक सज्जन भी टहल रहे थे। टहलते-टहलते मैंने देखा कि पार्क के एक कोन

7

सुबह-सवेरे की दौड़-भाग

10 मार्च 2022
2
2
2

कल रात पहले घर के सभी सदस्यों के लिए उनकी पसंद का खाना बनाने, खिलाने और फिर ऑफिस का कुछ काम निपटाने में बहुत समय लगा तो काफी देर रात सो पाई तो आज सुबह जरा देर से आँख खुली। मेरे मिस्टर तो जाने कब जल्दी

8

ये भी खूब रही

11 मार्च 2022
3
1
1

आज ऑफिस में लंच के बाद जब थोड़ा टहलने के लिए दूसरी मंजिल से नीचे उतरी तो गेट के सामने हमारे एक बाबू और एक ड्राइवर के बीच जोर-शोर से   बहस चल रही थी। मैंने पहले सोचा कि पास जाकर उन दोनों को टोकूं लेकिन

9

अमीर-गरीब के अपने-अपने हिस्से

14 मार्च 2022
2
0
0

आज सुबह ऑफिस जाते समय जब विशिष्ट प्रतिष्ठित गणमान्य कहलाने वाले नागरिकों के क्षेत्र से गुजर रही थी तो अचानक एक नाले की चमक-दमक देख मेरी अँखियाँ चौंधिया के रह गई। जहाँ एक ओर भीड़-भाड़ वाली बस्तियों म

10

बच्चों के संग होली के रंग

17 मार्च 2022
1
0
0

आज दोहरी ख़ुशी मिली। पहली मेरे बेटे का 10 वीं सीबीएसई बोर्ड के फर्स्ट टर्म के रिजल्ट आया, जिसमें उसने 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। मैं उससे कहती कि बेटा यदि केवल पढाई पर ध्यान देता तो कम से कम 99 या फ

11

होली और पानी बचाने की आवश्यकता

18 मार्च 2022
0
0
0

आज भले ही होली की छुट्टी थी लेकिन अपनी छुट्टी कहाँ? सुबह से ही बच्चों की फरमाइश कि ये बनाकर खिलाओ, वो बनाकर खिलाओ के बीच होली की उधेड़बुन में भूली-बिसरी होली के रंगों में डूब हिचकोले खाती रही। दिन मे

12

माँ सा दूजा कोई नहीं

23 मार्च 2022
0
0
0

आज सुबह-सुबह जब घूमने निकली तो हमारा रॉकी भी मेरे साथ चल पड़ा। रॉकी हमेशा कहीं भी घर से निकलो नहीं कि वह बाहर साथ चलने को तैयार बैठा मिलता है। ऐसा लगता है जैसे उसे पहले से भी भनक लग जाती है। सुबह-सु

13

लड़के क्यों लड़कियों की तरह अपने माँ-बाप की सेवा नहीं कर पाते हैं?

25 मार्च 2022
5
0
1

जब भी माँ की तबियत ज्यादा ख़राब होती है तो वह मुझे फ़ोन लगाकर बताती हैं। माँ की गाड़ी दवाईयों के भरोसे तो जैसे-तैसे चल ही रही है, लेकिन जब भी वह कुछ उल्टा-सीधा कुछ खा लेती है तो उसे पेट सम्बन्धी तमाम बीम

14

मैं नशे में हूँ

27 मार्च 2022
2
0
0

कल रात जब जब खाना खाकर मेरा बेटा बाहर सड़क पर टहल रहा था तो उसने देखा कि सड़क पर एक महिला जिसकी उम्र यही कोई ३०-३२ के आस-पास रही होगी, वह सड़क पर बैठी रो रही थी। सड़क पर आने-जाने वाले उसे देखकर भी अन

15

तब हमारे बड़े-बुजुर्ग भी कम नादान नहीं थे

30 मार्च 2022
3
2
0

आज सुबह की सैर करते समय हमारे गाँव के एक दादा जी रास्ते में टकरा गए। हम तो उन्हें पहचान नहीं पाए, क्योंकि कई वर्ष से उन्हें देखा नहीं था। वह तो उनके साथ उनका पोता था, जो यहीं भोपाल में रहता है, उसने प

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए