मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है, ये गाना जब मैं सुनता हूं तो बड़ा आनंद मिलता है_ अफसोस मेरे सामने वाली खिड़की में कोई चांद का टुकड़ा नहीं एक बूढ़ी दादी रहती है , वैसे चांद का टुकड़ा भी रहता है _लेकिन पुरे साल में उसकी झलक सिर्फ 1 महीना ही मिल पाता है वो भी गर्मी के दिनों में_ उस दादी कि वास्तविक उम्र 65 वर्ष से एक पाई भी कम ना होगी.... हां अगर उस दादी से आप उनका उम्र पूछिएगा तो वो बुढ़िया झुर्री पड़े चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए आपको 50 वर्ष से एक वर्ष भी ज्यादा ना बताएगी .... बड़ी आधुनिक दादी है _इस उम्र में भी अपने आप को हरदम श्रृंगार से वसीभूत रखती है_आंखो में काजल __नीली चूड़ियों से भरी भरी कलाईयां __माथे पर एक बड़ा सा गोल टिका __ वहीं 70 दसक की रेखा सी थिरकन वाली चाल ___ हैरानी इस बात की है वो अबतक किसी पे निर्भर नहीं रहती ना ही कभी बढ़ती उम्र की परेशानी दिखलाती है__ बिना लाठी का सहारा लिए ___एक दम सिना तान कर चलती है __. और तो किशोर कुमार का अव्वल दर्जा वाला प्रशंसक भी है आप मोहल्ले में कहीं भी “ मेरे महबूब कयामत होगी बजा दो ये बुढ़िया नागिन सी गाने की बिन सुनकर आपके समक्ष हाजिर हो जाएगी ____ वैसे तो मैं दादी को बचपन से जानती हूं किन्तु वो मुझे मेरे अस्तित्व के पहले से जानती है__मेरी मम्मी कहती है जब में गर्भ में था उस वक़्त सब कहते थे कि लड़की होगी __ पर एक वही दादी थी जो हमेशा सबकी बातों पे कटाक्छ करते हुए कहती थी कि” नहीं!लड़का होगा” __ और बड़ा शर्रार्ती भी होगा___ये दादी मेरी भविष्यवाणी तभी कर दी थी___इनका एक बात तो सच निकला ___ और दूसरा बदमाश वाला__ये असमंजस में है__ आज की भाषा में बोले तो इनका एक बात हवाओं में ट्रेंड कर रहा है पता नहीं कब समाज के ज़ुबान से निकलकर मेरे साफ सुथरे किरदार को ब्लैकलिस्ट कर दे😂😂😂 लेकिन ये मजाकिया लहजे में मुझे हमेशा कहती है तू जब पेट में लात मारता था ना उसी वक़्त तुम्हारी मम्मी से बोली थी __बड़ा सरार्ती निकलेगा__ “चल बुढ़िया कुछ भी बोलती है” मैं उनके बातों का मजाकिया लहज़े में कुछ ऐसे खंडन करता आया हूं___ वो बचपन में भी मेरी तुलना हमेशा अपनी पोती शिल्पी से करती थी __ और आज तक करती आयी है__ स्कूली दिनों में शिल्पी और मै एक ही स्कूल में थे और वो भी एक ही क्लास में __शिल्पी बचपन में बड़ी विनम्र स्वभाव की लड़की थी __बदमाशियों से दूर रहती __हरदम ध्यान से पढ़ाई करती एकदम शुद्ध आज्ञाकारी टाइप ___और मै ठीक इसके विपरीत दिन भर दोस्तो के संग मस्ती- आवारागर्दी __ इसका परिणाम ये होता था कि शिल्पी हमेशा क्लास में प्रथम श्रेणी में आती_वैसे मेरा भी उतना बुरा मार्क्स नहीं आता था मैं भी टॉप 10 में किसी तरह आ ही जाता था__ चाहे एग्जाम में ईमान का बलिदान देकर.........