मुकाम मुकाम बनाऊँ मैं कैसे ?तुम साथ नहीं हो।तलब नहीं अब कोई तुम्हारे सिवातुम पास नहीं हो।कैसे करूँ इशारे? मूकाम बनाऊँ मैं कैसे?मुख्तलिफ ख्याल आते हैं मन में,दिल को बेचैन कर जाते हैंकोशिश करत
आखिर मैं क्यों ना करूं विरोध, इन राष्ट्रद्रोहियों का; स्वार्थ प्रेरित हो राष्ट्र की सुरक्षा भी, दांव पे लगा देते हैं जो।ऐसे लोगों का विरोध क्यों ना करूं मैं,जो सरकार का विरोध करने हेतु हाथ मिला लेते हैं , देश के दुश्मनों से।विरोध मैं अवश्य करूंगा, उन कथित विद्वानों का