आखिर मैं क्यों ना करूं विरोध, इन राष्ट्रद्रोहियों का;
स्वार्थ प्रेरित हो राष्ट्र की सुरक्षा भी, दांव पे लगा देते हैं जो।
ऐसे लोगों का विरोध क्यों ना करूं मैं,जो सरकार का विरोध करने हेतु हाथ मिला लेते हैं , देश के दुश्मनों से।
विरोध मैं अवश्य करूंगा, उन कथित विद्वानों का;
जो धर्म विरोधी बातें कर,अपने ही धर्म को बना देते हैं हास्यास्पद।
विरोध तो अवश्य ही करूंगा मैं, उन गद्दारों का ;
जो देश का नमक खाने के बाद भी, देश के साथ करते हैं नमकहरामी।
सरकारी सेवाओं का पूरा उपयोग करने के बाद भी, करते हैं देश की बुराई;
खुद देश के लिए खतरा बने फिरते हैं,और कहते हैं देश में हम सुरक्षित नहीं ;
आखिर क्यों ना करूं आलोचना, इन स्वार्थी कलाहीन कलाकारों की।
वोटों की खातिर जो तलवे चाटे, घुसपैठियों को शरण दे ;
ऐसे अशोभनीय आचरण वाले नेता लोग ,क्यों ना करूं बुराई इनकी।
सरकारी पैसों के बल पर ,करते शोध विश्व विद्यालयों में;
ऐसे शोधार्थी क्या काम के , जो देश की प्रगति के हर कदम पे बनते है रुकावट;
लोगों को भड़का कर करते हैं आंदोलन,राष्ट्र सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा बनते मीडिया की सजावट;
आखिर मैं क्यों ना विरोध करूं, इन उत्पाती नकली छात्र नेताओं का।
मैं विरोध अवश्य करूंगा, उन दोगले मीडिया हाउसों का;
जो राष्ट्र की सुरक्षा में छेद कर,राष्ट्र द्रोहियों को बनाते है अपने चैनल पे हीरों।
आखिर क्यों ना मैं करूं विरोध ,इन्हीं राष्ट्र विरोधी ताकतों का;
जो मेरे देश को ले जाएं विघटन की कगार पे,पहुंचा दूंगा मैं इनको इनके असली मुकाम पे।