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मुंशी प्रेमचंद

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मेरे मन के शांत जलाशय से, ओ! वन की स्वच्छंद चँचल हिरनी तूने नीर-पान करके- शांत सरोवर के जल में ये कैसी उथल-पुथल कर दी। मैं शांत रहा हूँ सदियों से, यूँ ही एकांत का वासी हूँ, मैं देश छोड़ कर

एक ही बंशी एक ही मुंशी सारे जगत में शान्ति का शंखनाद श्रेय है उनको लहराने का उनके खातिर बना हिन्दी खास परिहास लिबास जैसे गोदान में पाया कंसी एक ही बंशी एक ही मुंशी। यही उनकी कर्मभूमि व रंगभू

मुंशी प्रेमचंद, जिनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, का जन्म भारत के वर्तमान उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास लमही नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। वह एक गरीब परिवार में पले-बढ़े और जीवन भर आर्थिक कठ

गतांक से आगे:- रमनी सहसा चौंकी ,"इतने दिनों बाद "चंचला " अब इसे क्या ले जाना है मुझे से छीन कर ।पहले पति ले गयी, फिर मेरे बच्चों को अपना कहने लगी।उनकी हर बात में टांग अड़ाते थी कि तुम बेटियों को

प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखंड भारत के इतिहास में बहुत महत्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंजिलों से गुजरा। प्र

मुंसी प्रेमचंद, भारतीय साहित्य के महान कवि, लेखक और समाजसुधारक थे। उनकी रचनाएँ उस समय की समाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाली थीं। यहाँ, मुंसी प्रेमचंद की कुछ प्रसिद्ध कविताओं का उल्लेख क

मुंसी प्रेमचंद, वे कवियों में से एक हैं, कहानियों से लोगों के दिलों को जीते वो शानदार। उनकी रचनाएं भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, उनकी कहानियों में समाज की वास्तविकता छुपी है छुपी हैं। प्रेम

गतांक से आगे:-मिस्टर बजाज बहुत शातिर खिलाड़ी थे उन्होंने कमल को बैठने का इशारा करके स्वयं खड़े हो गये रमनी का स्वागत करने के लिए ।"अरे…रे आप और यहां ? सब ठीक तो है ।और सुनाइए मिल में काम कैसा चल रहा ह

मुंशी प्रेमचंद, भारतीय साहित्य के एक शानदार प्रतिभा से सजी महानायक हैं। जन्म नाम धनपत राय श्रीवास्तव, उन्होंने अपने शिक्षकीय पद के प्रतीक रूप में "मुंशी" और चाँदनी के प्रति अपनी विशेष मोहब्बत के चलते

गतांक से आगे:- जिया की सारी रात आंखों ही आंखों में कट गई।सुबह जब नौकरों ने देखा ऊपर सीढ़ियों के दरवाजे की सिटकनी टूटी हुई है तो उनका माथा ठनका । उन्होंने सारा घर छान मारा कि कहीं चोरी तो नहीं हो

अमूल रत्नों से परिपूर्ण जाज्वल्यमान वसुंधरा का आंचल कितना पवित्र और कितना महान है, यह किसी से छिपा नहीं है। जिस प्रकार यह अपने गर्भ में अनेक रत्नो और मणिमुक्ताओ  को छुपाए बैठी है,उसी प्रकार इसने

गतांक से आगे:-तभी सिया को चीखते देखकर जिया का ध्यान भी उधर गया तो कमरे की खिड़की पर राजू ड्राइवर को खड़े पाया ।आज वो जल्दबाजी में किताबें गाड़ी में ही भूल आई थी।जिसे देने के लिए राजू उनके क्लास में पह

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