गतांक से आगे:-
जिया की सारी रात आंखों ही आंखों में कट गई।सुबह जब नौकरों ने देखा ऊपर सीढ़ियों के दरवाजे की सिटकनी टूटी हुई है तो उनका माथा ठनका । उन्होंने सारा घर छान मारा कि कहीं चोरी तो नहीं हो गयी पर घर की किसी भी चीज को छूआ तक नहीं गया था ।फिर वो जिया और सिया के कमरे की ओर भागे लेकिन वहां की भी बाहर से कुंडी लगी हुई थी ।वो घबराकर रमनी के कमरे की दौड़े और उसे आवाज देकर बोले,"बड़ी मां, बड़ी मां जरा उठकर बाहर आइए तो ऊपर सीढ़ियों के दरवाजे की सिटकनी टूटी हुई है ।कल हम अच्छे से चेक करके गये थे तब सब कुछ ठीक था।"
रमनी भी हड़बड़ा कर उठी और बाहर की तरफ भागी ।वो सब से पहले जिया और सिया के कमरे की ओर दौड़ी और जैसे ही दरवाजा खोला तो माथा पीट लिया ।कमरे में सिया को ना पाकर रमनी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।सोने का नाटक कर रही जिया को उसने झिंझोड़ कर जगाया और उससे पूछा सिया कहां है ? पहले तो जिया बहाना बनाती रही कि उसे नहीं पता वो तो सो रही थी लेकिन जब जोर जोर से चांटे गाल पर पड़ने लगे तो जिया का धैर्य जवाब दे गया और वह निडर हो कर बोली ,"वो चली गई अपने प्यार के साथ ।आप कितनी पाबंदी लगा लो जिसे जाना है वो जाकर ही रहेगा।"
"कलमुंही ये तो बता , गयी किसके साथ है वो?" रमनी गरजीं।
"नसीब खान के साथ जिसे वो दिलोजान से चाहती है।"जिया ने बिना झिझके के साथ कहा।
"हाय राम इस लड़की ने तो नाक कटवा दी ।अब मैं जाता बिरादरी में क्या मुंह दिखाऊंगी।भाग कर भी गयी तो एक मुसलमान के साथ ।कसम से आज ही उसको ढूंढवाने के लिए आदमी भेजती हूं अगर मिल गई तो वो हश्र करुंगी उसका कि प्यार का नाम उसकी जुबान पर भी नहीं आयेगा।"रमनी गुस्से में पागल हुईं जा रही थी।
इधर सिया नसीब के साथ नये शहर में आ गयी थी ।उसे तो ऐसे लग रहा था जैसे उसने अपनी मंजिल पा ली हो।सब कुछ बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।दो चार दिन दोनों साथ साथ घुमे फिरे ।एक दिन अब्बदुल मियां का फोन आया तो नसीब बेडरूम से उठकर बाहर की ओर भागा ।सिया को ये बात कुछ अजीब लगी क्योंकि वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे तो उनके बीच छुपा हुआ कुछ नहीं होना चाहिए लेकिन वह ये बात नोटिस कर रही थी कि नसीब के पास कमल का फोन आता तो वो वहीं बैठकर उससे बात करता पर कभी कभी किसी और का फोन आता तो वो दौड़कर बाहर चला जाता था।
अब नसीब भी उसे क्या बताएं कि प्यार तो उसने कभी किया ही नहीं था उससे वो तो उसके लिए एक मिशन थी जिसे उसे पूरा करना था। अब्दुल मियां ने उससे कहा "मियां प्यार मुहब्बत बहुत हो चुकी अब काम पर लग जाओ।"
नसीब जब बात करके अंदर आया तो उसने मुंह बनाकर सिया से कहा,"देखो सिया बात यहां भी खुलने लगी है ।अब हमें निकाह कर लेना चाहिए ।"
सिया ये सुनकर उछल पड़ी और खुशी से पागल होते हुए बोली,"चलों कल ही कोर्ट मैरिज कर लेते हैं।"
नसीब ने जब उसकी बात सुनी तो उसका माथा घुमा वो बोला,"नहीं ऐसे नहीं । तुम्हें बाकायदा धर्म परिवर्तन करना होगा फिर जाकर हमारा निकाह होगा।"
"पर…. धर्म परिवर्तन ही क्यों? क्या मैं अपने धर्म में और तुम अपने धर्म में रह कर एक सफल वैवाहिक जीवन नहीं गुजार सकते ।कितना अच्छा हो जो धूमधाम से हमारे यहां ईद मनाई जाए तो उसी धूमधाम से दिवाली भी सेलिब्रेट करें हम लोग।" सिया ने प्रश्नवाचक निगाहों से उसे देखा।
नसीब को अपना मिशन कामयाब होता ना दिख रहा था तो उसने झुंझलाकर तेज आवाज में सिया को डांटते हुए कहा,"तुम्हारा दिमाग ख़राब है क्या मैं क्यों तुम्हारी दिवाली सेलिब्रेट करु। हमारे धर्म में बुत परस्ती मना है। तुम्हें मेरा धर्म अपना कर ही मुझे से शादी करनी पड़ेगी।"
सिया को जब नसीब ने डांटा तो वह सहम गयी ।
सिया शुरू से ही पूजा-पाठ नियमित करती थी ।सुबह उठकर सबसे पहले नहा-धोकर वह पूजा-पाठ ही करती थी फिर निवाला उसके मुंह में जाता था।और यहां पर नसीब जिसके लिए वो अपना घर तक छोड़ आई थी वो उसे वहीं धर्म छोड़ने के लिए कह रहा था ।सिया ने सख्ती से मना कर दिया कि धर्म परिवर्तन तो वो किसी हालत में नहीं करेंगी।
नसीब को अपना मिशन फेल होता दिखाई दिया तो उसने एक थप्पड़ सिया को जड़ दिया।वह उसे मार कर घर से बाहर चला गया सिया बिस्तर पर पड़ी सुबकती रही उसे आज चंचला मां की वहीं बात याद आ रही थी कि बेटा मुझे लड़का सही नहीं लग रहा।
तब तो उसने बात को हंसी में उड़ा दिया था लेकिन आज जब नसीब की असलियत उसके सामने आई तो वह अर्श से फर्श पर आ गिरी।नया शहर ,नयी जगह किसी को जानती नहीं यहां पर मदद मांगे भी तो किससे मांगें। नसीब घर से बाहर जाता था तो ताला लगा कर जाता था ।वैसे भी उसने जो घर ले रखा था वो सुनसान जगह पर था । इक्का दुक्का लोग ही रहते थे वहां किसी की सुबह आठ से रात आठ बजे तक की ड्यूटी होती थी तो किसी की नाइट ड्यूटी।
नसीब ने उसे बंधक बना लिया था ।न फोन था उसके पास ,सारा सारा दिन भूखी पड़ी रहती थी ।आज उसे अपने जीवन की सब से बड़ी ग़लती नसीब के साथ भाग कर यहां आने की लग रही थी।पर अब वो अन्य भी क्या सकती थी।
इधर रमनी ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी सिया को ढूंढने में ।वह उसके इंस्टीट्यूट पहुंची और वहां से पता चला कि नसीब कमल का बेस्ट फ्रेंड है वहां से उसके घर का पता लेकर रमनी उसके घर पहुंची ।
कमल अपने पिता के साथ बैठा बगीचे में चाय पी रहा था तभी रमनी की गाड़ी पोर्च में आकर रूकी तो कमल एकदम से घबरा गया और उठने को हुआ तो मिस्टर बजाज ने उसे वहीं बैठने का इशारा किया।कमल इशारों ही इशारों में बुदबुदाया
"पापा…..सिया और जिया की मम्मी।"
(क्रमशः)