एक ही बंशी एक ही मुंशी
सारे जगत में शान्ति का शंखनाद
श्रेय है उनको लहराने का
उनके खातिर बना हिन्दी
खास परिहास लिबास
जैसे गोदान में पाया कंसी
एक ही बंशी एक ही मुंशी।
यही उनकी कर्मभूमि व रंगभूमि
जिसमे खेला बचपन जिया जीवन
अभिलाषा पड़कर जुड़ता मन
चकमा हो या चमत्कार
चोरी हो या पछतावा
सभी है बन्धे सत्याग्रह की रस्सी
एक ही बंशी एक ही मुंशी।
अग्नि समाधि से अमृत तक
अनाथ लड़की से आहुति तक
ईदगाह उपदेश या हो गिला
गबन का गुप्त धन किसी को न मिला
ज्वालामुखी की ज्योति या जुगनु की चमक
शान्ति संग्राम या वैराग्य की हंसी
एक ही बंशी एक ही मुंशी।
सेवा का मार्ग हो सच्चाई का उपहार
नर्क का मार्ग नशा पूर्व संस्कार
मनुष्य का परम धर्म पंच परमेश्वर
मर्यादा की वेदी हो मुक्ति का मार्ग
माता का हृदय विश्वास में फंसी
एक ही बंशी एक ही मुंशी।
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