गतांक से आगे:-
रमनी सहसा चौंकी ,"इतने दिनों बाद "चंचला " अब इसे क्या ले जाना है मुझे से छीन कर ।पहले पति ले गयी, फिर मेरे बच्चों को अपना कहने लगी।उनकी हर बात में टांग अड़ाते थी कि तुम बेटियों को सही ढंग से नहीं रखती हो । रातों को नींद हराम करती थी । मैं मानती हूं बहुत बार इसने मदद भी की है मेरी पर बस….अब और नहीं …और इसे मेरे जीवन में दख़लंदाज़ी नहीं करने दूंगी।"रमनी मन ही मन सोच रही थी तभी उसे लगा चंचला उसके पास खड़ी है आज वह बड़े गुस्से मे दिख रही थी ।रमनी भी चीख पड़ी,
"अब क्या चाहिए तुम्हें सब कुछ तो छीन चुकी है मुझ से । लड़कियां भी अब बागी हो गई है मुझसे।अपनी मनमर्जी करने लगी है ।अब भगवान के नाम पर हमें बख्श दो।"
तभी रमनी को ऐसे लगा जैसे उसका पलंग हवा में उठा और धड़ाम से नीचे गिरा तभी कमरे में एक काली परछाई उसके पलंग के पास फुंकार रही थी
"मार डाला ना तुम ने ,मार डाला ना मेरी बच्ची को । क्या कसूर किया था उसने प्यार ही किया था और क्या ।पर लड़का सही नहीं था मैं उसे लेकर आ गयी थी ।मैंने ही सिया के मन में दृढ़ संकल्प करवाया था कि तू अपना धर्म मत बदलना।वो लड़का इसे मुस्लिम धर्म अपनाने को कह रहा था।मैं लेकर आ गयी थी उसे वापस रमनी…… पर तुम्हारे गुस्से ने उसे खत्म कर दिया ।तुम मां हो या डायन अपनी ही बच्ची को मार डाला।" यह कहकर चंचला की आत्मा फफक-फफक कर रोने लगी।
रमनी ने जब चंचला की आत्मा के मुंह से ये बात सुनी तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गयी।आखिर थी तो वो उसकी मां ही वह चाहे कितनी कठोर हो जाए पर जब बच्चे की जान पर बनती है तो मां पिघल ही जाती है ।रमनी चीखते हुए सिया के कमरे की ओर भागी।एक दो नौकर जो थे वो भी भागे और जिया भी अपने कमरे की खिड़की से सबको पुकार पुकार कर बुला रही थी कि कोई तो उसे बता दें कि घर में क्या हो गया है जो बड़ी मां ऐसे चीखकर दीदी के कमरे की ओर भागी हैं ।
रमनी ने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला तो पाया सिया फर्श पर औंधे मुंह पड़ी है वह दौड़कर उसके पास गयी और उसे सीधा किया तो देखा सिया के प्राण पखेरू उड़ चुके थे ।वो पहले ही प्यार में धोखा खाकर आई थी ऊपर से मां की मार वो सह ना पाई और भगवान से बोली मुझे अपनी शरण में ले लो और वो चली गयी भगवान के पास ।रमनी ने अपना आपा पीट लिया तब तक कमला भी कमरे में आ चुकी थी वो आते ही रमनी से बोली,"मेमसाब अब क्या होगा सिया बेटी तो मर गई,घर में पुलिस आयेगी, पुलिस केस……"
कमला की बात मुंह में ही रह गयी आजकल रमनी के व्यवहार को देखकर कमला को रमनी से घृणा सी हो चली थी वो बस सिया और जिया के कारण उस घर में रह रही थी।वरना वो कभी की चली जाती इस घर से और जबसे रमनी ने दोनों बच्चियों को कमरे में भूखें प्यासे रखा तबसे तो कमला का अंतर्मन चीत्कार कर उठा था।
तभी रमनी अचानक से उठी और बोली,
"शशशश। कोई कुछ नहीं बतायेगा । लोगों को पता है वो घर से भाग गयी थी और हम अब भी यही कहेंगे कि वो फिर से घर से भाग गयी है ।रामू , तुम फटाफट आंगन में एक बड़ा सा गड्ढा खोदो। सिया को हम यही दफन कर देंगे।"
रमनी का दबदबा पूरे घर पर था कोई कुछ नहीं बोला और देखते ही देखते सिया की कब्र आंगन में बन गयी उसमें उसे दफन करके रमनी अपने कमरे में आ गयी ।
भोर हो चुकी थी । लोगों की आवाजाही मौहल्ले में शुरू हो गयी थी
तभी रमनी की कोठी में हो हल्ला हो गया ।रमनी जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी,
"अब ये लड़की घर में नहीं घुस सकती । बड़ी मुश्किल से समझा-बुझाकर लेकर आये थे ,रात फिर से भाग गयी।इस लड़की ने नाक कटवा दी मुसलमान के लड़के के साथ भागकर ।कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।रामू, गोपाल,कमला ये लड़की अब इस घर में नहीं दिखेंगी।"
रमनी जोर जोर से बोलती जा रही थी और अपने आंचल से आंसू पोंछती जा रही थी । आंसू तो आने ही थे चाहे परिस्थितियों ने उसे कितना कठोर बना दिया हो लेकिन अंदर से वो अभी भी एक कोमल हृदय वाली महिला थी।अपनी कोख जाई को खोया था उसने रात को और वो भी अपने ही इस क्रोध की अतिशयोक्ति के कारण।
कहते हैं गुस्से और धैर्य का आपस में बैर है ।अगर मनुष्य गुस्से में थोड़ा सा धैर्य से काम लें तो बहुत सी अनहोनी टल सकती है ।रमनी अगर धैर्य से काम लेती और अपनी भटकी हुई बेटी से उसकी आपबीती पूछती तो आज सिया जिंदा होती।धोखा हुआ था उसके साथ कितने अरमान लेकर वो अपने प्यार के साथ गयी थी लेकिन वो प्यार , प्यार नहीं था धोखा था जो सिया की आंखें नहीं देख पाई।
इधर जिया को जब ये पता चला कि सिया दीदी इस दुनिया से जा चुकी है और बड़ी मां ने बेरहमी से उसे मार डाला तो उसका खून खोल उठा ।उसने अपने कमरे से ही बड़ी मां को खरी खोटी सुनानी शुरू कर दी।
जिस रमनी के आगे उसकी जुबान से हां और ना शब्द ही निकलते थे वो आज कुछ का कुछ बके जा रही थी अपनी मां को लेकिन रमनी भी चुपचाप उसकी हर बात सुन रही थी ।कसूर हुआ था उससे जिसकी भरपाई कभी भी नहीं होने वाली थी।जिया ने सारी बात कमल को फोन करके बता दी ।कमल को तो ब्लैकमेलिंग का एक मुद्दा मिल गया वह जिया को सिखाने लगा कि तुम अपनी मां से जाकर जिद्द करो कि तुम्हें मेरे साथ ही शादी करनी है। वरना ये सारा राज वह लोगों को बता देंगी।जिया को भी बात कुछ समझ आ गयी थी।
इधर मिस्टर अशोक बजाज के घर में कमल की सगाई की तैयारियां चल रही थी कल ही उन्हें रमनी के यहां सगन लेकर जाना था।
(क्रमशः)