25 अक्टूबर 2021
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प्रेम है तो श्रृंगार है विरह है वेदना है पर जो भी है सब दिल के करीब है ...💞 मैं और मेरा प्रेमी ही मेरी कलम है, यूँ तो बहुत बड़ी कवियित्री नही हूं, पर प्रेम को अपने काव्य में रखने का शौक पूरा करती हूं। प्रसिद्ध किताबें :- काव्या की काव्यांजली, नारी जीवन दर्पण, काव्यांशी जीवन के रंग, लफ्ज़ों की लहरें, प्रेम डगर, हाल ए दिल......... आशा है रचनाओं में आप जीवन और प्रेम की वास्तविकता को महसूस करेंगे 🙏 काव्या सोनीD
बहुत बढिया
1 जनवरी 2022
Very nice 👌
16 दिसम्बर 2021
दोनों भाग मिलाकर सुन्दर रचना लिखी है और क्या ही सुन्दर बन पड़ा है । कँही-कँही ,कहन क्या खूब ही बन पड़ा है कि टूटा दिल तो छूटा सब......रब ।सुन्दर।
30 नवम्बर 2021
इस कविता में भाव और कुछ पंक्तियाँ पिछली कविताओं से ली गई हैं. जैसे " मेरे हाथ में नहीं तुमसे मिलन की लकीरें, जुदा जुदा हैं अपनी तकदीरें "
24 नवम्बर 2021
Bahut hi accha likha
15 नवम्बर 2021