पल्लू में उसके बंधे रहते हैं अनगिनत पत्थर, छोटे-बड़े बेडौल पत्थर मार देती है किसी को भी वो ये पत्थर। उस दिन भी उसके पल्लू में बंधे हुए थे ऐसे ही कुछ पत्थर। कोहराम मचा दिया था उस दिन उ
अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर
दौड़त-दौड़त सब गए, देन परीक्षा नीट, लेकिन डर्टी पिक्चर थी, कुछ भी नहीं था ठीक, कुछ भी नहीं था ठीक, लीक थी पूरी टंकी, लगने लगा है कि आयोजन था सब नौटंकी, आयोजन था सब नौटंकी, नौटंकी होती रि