अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर को कभी अपनी मर्जी से जिंदगी जीने का मौका मिला ही नहीं, हमेशा दुनिया वालों और परिवार के दबाव के चलते उसने कभी अपनी खुशियों पर ध्यान नहीं दिया। इतने में सागर की भी आंख खुल जाती है। प्रेम सागर को देखकर अभी भी सोच ही रहा था कि सागर बोला, "मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो? अगर अच्छा लगता हूं तो बता क्यों नहीं देते?"
प्रेम अचानक से सोचना बंद करके सागर की बात पर ध्यान देता है और बात को बदल कर कहता है, "ऐसा कुछ नहीं है, मैं तो यह सोच रहा था कि इस खडूस ने मुझे पूरी रात सही से सोने भी नहीं दिया।"
सागर, "मैंने और तुम्हें सोने नहीं दिया, ऐसा कैसे हो सकता है?"
प्रेम, "कैसे क्या, तुम पूरी रात घोड़े बेचकर सो रहे थे, इतनी जोर-जोर से खरांटे मारते हो तुम।"
सागर चौंककर बोला, "मैं और खरांटे? तुम मजाक कर रहे हो।"
प्रेम, "मैं तुमसे मजाक क्यों करूंगा? एक तो मेरी नींद पूरी नहीं हुई है तुम्हारी वजह से।"
सागर, "सॉरी प्रेम, मेरी वजह से तुम्हें परेशानी हुई, लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं सोते समय खरांटे भी लेता हूं।"
प्रेम, "क्यों, तुम्हें कभी किसी ने यह बात नहीं बताई?"
सागर, "मैं बचपन से ही अकेले अपने कमरे में सोता हूं, इसलिए मुझे किसी ने नहीं बताया।"
प्रेम मजाक करते हुए बोला, "कोई बात नहीं, लेकिन तुम्हारी शादी होने के बाद तुम्हारी बीवी तुमसे परेशान रहा करेगी।"
सागर, "मैंने अभी शादी के बारे में कुछ नहीं सोचा।"
प्रेम, "क्यों?"
सागर, "कोई और बात करें।"
इतने में प्रेम की मां कमरे में आकर कहती है, "तुम दोनों अभी तक सो ही रहे हो? जल्दी नहा-धोकर नीचे आओ, नाश्ता बना रही हूं।"
सागर, "आंटी, मैं घर के लिए निकलता हूं, घर जाकर ही नाश्ता कर लूंगा।"
इससे पहले प्रेम की मां कुछ बोलतीं, प्रेम बोला, "नाश्ता तो करके ही जाना पड़ेगा और तुम्हारा कोई बहाना नहीं चलेगा।"
प्रेम की मां, "प्रेम, तुम्हारी तबियत तो ठीक है? कल आधी रात को तो तुम दोनों लड़ रहे थे और अब इतनी फिक्र की जा रही है।" प्रेम की तरफ देखते हुए, "करनी पड़ती है मां, एक तो सागर मेरे बॉस हैं और उससे बड़ी बात यह कि मेरे दोस्त भी हैं।"
सागर सोच में पड़ गया कि आज प्रेम को हो क्या गया है, आज मेरे लिए इतना दयालु कैसे हो रहा है?
प्रेम की मां, "अच्छा सागर, तुम जल्दी नहाओ और नीचे आकर नाश्ता करो। और हां, तुम्हारे कल वाले कपड़े अभी सूखे नहीं हैं, तो अभी तुम्हें प्रेम के कपड़े पहनने पड़ेंगे।"
सागर, "ठीक है, लेकिन आंटी, एक बार प्रेम से भी पूछ लो, उसे कोई परेशानी तो नहीं।"
प्रेम की मां, "प्रेम को क्या परेशानी होगी, है ना प्रेम?"
प्रेम, "नहीं, मुझे कोई परेशानी नहीं है, तुम्हें जो भी कपड़े अच्छे लगें, पहन लो।"
सागर, "आंटी, प्रेम मेरे साथ रहकर समझदार हो गया है।"
प्रेम की मां, "हां, बिल्कुल सही बात है।"
इतना कहकर प्रेम की मां कमरे से चली जाती हैं।
सागर, "प्रेम, सुनो।"
प्रेम, "हां, बोलो।"
सागर, "थैंक यू।"
प्रेम, "किस लिए?"
सागर, "सबके लिए।"
प्रेम, "कोई बात नहीं।"
सागर, "एक काम करो, तुम पहले नहा कर आओ, फिर मैं नहाऊंगा।"
प्रेम, "ठीक है," कहकर नहाने चला जाता है। थोड़ी देर बाद प्रेम नहाकर वापस कमरे में आता है तो देखता है कि सागर फोन पर किसी से बात कर रहा होता है।
सागर, "मैं आज दादी से मिलने जा रहा हूं, उनसे मिलने के बाद ही घर आऊंगा।" फिर फोन का उत्तर देते हुए, "अच्छा, रात तक वापस आ रहे हैं, कोई बात नहीं, मैं सब संभाल लूंगा।"
इतना कहकर सागर कॉल काट देता है और पीछे मुड़कर देखता है कि प्रेम नहाकर आ चुका है। उसे देखकर सागर कहता है, "खाना खाया करो, शरीर कम चम्मच ज्यादा लग रहा है।"
प्रेम, "हां, हां, ठीक है, तुम मुझे मत देखो, जाओ नहाकर आओ।"
थोड़ी देर में सागर भी नहाकर कमरे में वापस आ जाता है और प्रेम से बोलता है, "कपड़े?"
प्रेम, "अलमारी खोलो और जो पसंद आए, पहन लो।"
सागर अलमारी खोलकर, "इनमें से क्या पहनूं?"
प्रेम, "एक काम करो, हटो वहां से, मैं कपड़े निकाल कर देता हूं।" प्रेम ने अलमारी से एक टी-शर्ट और एक जींस निकाल कर दी और कहा, "ये पहनो, तुम पर अच्छी लगेगी।"
सागर ने बिना कुछ बोले कपड़े पहन लिए और दोनों नीचे आ गए। प्रिया की मां ने सागर को देखा और प्रेम की मां से बोली, "देखो दीदी, सागर कितना अच्छा लग रहा है।"
प्रेम की मां, "हां, बहुत।"
प्रिया, "कोई मेरे भाई को भी तो देख लो, वह भी अच्छा दिखता है।"
प्रिया की मां, "बस, एक ऐसा ही अच्छा सा लड़का प्रिया के लिए मिल जाए तो इसकी भी शादी करवा दूंगी।"
प्रेम की मां, "क्या छोटी, तुम भी! जब देखो मेरी लाडली की शादी के पीछे पड़ी रहती हो, अभी तो उसकी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई, अभी तो मेरी बच्ची की खेलने-कूदने की उम्र है।"
प्रिया की मां, "दीदी, तुम्हारी लिए तो ये हमेशा वही पांच साल की प्रिया रहेगी जो मुझसे बचने के लिए तुम्हारे आंचल में छुप जाती थी।"
प्रिया, "तो मां, तुम मेरी इतनी पिटाई भी तो लगाती थी।"
प्रिया की मां, "तो तुम चोरी-छुपे मिट्टी भी तो खाती थी, उसके लिए तुम्हारी पूजा थोड़ी करती।"
प्रेम, "मां, आज क्या बनाया है?"
प्रेम की मां, "मूंग दाल का हलवा बनाया है।"
प्रेम, "आज सुबह-सुबह हलवा?"
प्रिया की मां, "हां, स्पेशल सागर के लिए।"
सागर, "तो जल्दी ले आओ, बहुत भूख लग रही है।"
प्रिया की मां, "प्रिया, जा जल्दी से हलवा लेके आ।"
प्रिया हलवा लेके आती है और पहले एक कटोरी सागर को देती है और उसके बाद प्रेम को। प्रेम, प्रिया से, "सागर सर के आते ही अपने भाई को भूल गई।"
प्रिया: कैसी बात बोल रहे हो भाई, तुमको तो पता है मैं तुमसे कितना प्यार करती हूं।
प्रेम: मुझे पता है, तू इतना प्यार क्यों बरसा रही है आजकल, लेकिन तू टेंशन मत ले, मैं सबसे बात करूंगा उस बारे में।
सागर: टोजो कहां है? रात को जब हम देर से आए थे तो वह सो गया था, अब कहां है?
प्रेम: वह अभी सो रहा होगा। आज रविवार है, इसलिए आज उसे देर तक सोने दिया जाता है।
प्रिया की मां: नहीं प्रेम, आज तो टोजो जल्दी उठ गया था और अभी वह नहा रहा है।
प्रेम: क्या बात है, आज तो टोजो भी सुपरफास्ट हो गया है।
सागर: प्रेम, थोड़ा जल्दी करो, मुझे निकलना है, दादी से भी मिलना है और...
प्रेम: और क्या?
सागर: वह बाद में बताऊंगा।
प्रेम और सागर ने जल्दी से हलवा खत्म किया।
सागर: आंटी, हलवा बहुत अच्छा बना है। अगली बार आऊंगा तो फिर से खाऊंगा।
प्रिया की मां: सागर, अभी तो हलवा ही खाया है, पराठे तो खाकर जाओ।
इतने में टोजो नीचे आता है और प्रेम से पूछता है: भैया, तुम कहीं जा रहे हो क्या?
प्रेम: हां, मैं और सागर भैया अभी किसी काम से जा रहे हैं और थोड़ी देर में वापस आ जाएंगे।
टोजो, सागर से: भैया, मेरे लिए चॉकलेट लेकर आना।
सागर: बिलकुल लेकर आऊंगा।
इतना कहकर प्रेम और सागर घर से निकल जाते हैं और फिर दोनों कार में बैठकर सागर की दादी से मिलने के लिए वृद्धाश्रम के लिए रवाना हो जाते हैं। रास्ते में प्रेम, सागर से पूछता है: तुम कुछ बताने वाले थे।
सागर: क्या?
प्रेम: यही कि पहले दादी से मिलना है और फिर कोई और काम?
सागर: हां, वह मैं बताना भूल गया। तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है।
प्रेम: क्या है, बताओ?
सागर: आज पापा घर वापस आ रहे हैं।
प्रेम: यह खुशखबरी है?
सागर: क्यों, तुम्हें यह बात सुनकर खुशी नहीं हुई?
प्रेम: मतलब, कल ऑफिस में खौफ का माहौल होगा।
सागर: हां, कल तुम खुद देख लेना।
दोनों थोड़ी देर बाद वृद्धाश्रम पहुंच जाते हैं। सागर, प्रेम को अपनी दादी से मिलने के लिए अंदर ले जाता है। वहां प्रेम देखता है कि सब बूढ़े अंकल-आंटी वहां रह रहे हैं। उनको देखकर प्रेम मुस्कुरा देता है।
सागर: क्या हुआ, तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो?
प्रेम: ये सब कितने प्यारे हैं, इनके परिवार वालों को इन्हें यहां नहीं रखना चाहिए।
सागर अपनी दादी को देखकर खुश हो जाता है। वह दादी के पास जाकर उनके पैर छूता है और दादी को गले लगा लेता है। सागर की दादी भी सागर को देखकर खुश हो जाती हैं। प्रेम भी दादी के पास जाकर उनके पैर छूता है, तब सागर की दादी प्रेम के सर पर हाथ फेरते हुए उसे हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद देती हैं। सागर अपनी दादी से बताता है कि प्रेम उसका दोस्त है।
दादी: बेटा, तुम सागर के साथ यहां अपनी मर्जी से आए हो?
प्रेम: जी दादी, आपसे मिलने का मन था, बस इसलिए आ गया।
सागर: चलो दादी, पहले आप बैठ जाओ, फिर आराम से बात करते हैं।
तीनों एक पेड़ के नीचे जहां कुर्सियां रखी हुई थीं, वहां जाकर बैठ जाते हैं। तभी सागर की दादी कहती हैं: और बताओ सागर, तुम इतने दिन बाद कैसे आए?
सागर: दादी, मुझे काम रहता है।
प्रेम: कोई बात नहीं दादी, अब ये हर हफ्ते आपसे मिलने आएगा।
दादी: प्रेम, तुम सागर से कैसे मिले? क्योंकि मुझे पता है सागर किसी को जल्दी से अपना दोस्त नहीं बनाता।
प्रेम: बस दादी, इसे किस्मत का खेल बोल सकते हैं। मैं सागर के ऑफिस में काम करता हूं।
सागर: और वहीं से हम दोनों दोस्त बन गए।
दादी: सागर, यह बात अगर तुम्हारे पापा को पता चलेगी तो वह तुम पर बहुत नाराज होंगे।
सागर: तो क्या करूं दादी, मुझसे नहीं होती उनकी तरह की दोस्ती, उन्हीं से करो जिससे मतलब निकलता हो।
दादी: अभी ये सब बातें छोड़ो, वैसे आज तुम इन कपड़ों में अच्छे लग रहे हो। लेकिन तुम्हारे पापा ने तुम्हें इन कपड़ों में देख लिया तो?
सागर: जो होगा देखा जाएगा दादी।
प्रेम: दादी, सागर आज आपको घर ले जाने आया है।
सागर प्रेम को चौंककर देखता है।
दादी: क्या सच में सागर, तुम मुझे लेने आए हो?
सागर के कुछ बोलने से पहले प्रेम बोल देता है: हां, बिलकुल दादी, क्योंकि आज बड़े सर घर वापस आ रहे हैं।
सागर प्रेम की तरफ देखते हुए: हां दादी, मैं पापा को आपसे मिलवाना चाहता हूं और उन्हें सरप्राइज देना चाहता हूं।
दादी: लेकिन मैं यहां से नहीं जाऊंगी।
प्रेम: क्यों दादी?
दादी: मेरे यहां बहुत सारे दोस्त हैं, मैं उन सब के बिना वहां कैसे रहूंगी। बेटा सागर, मैं तेरे साथ चलूंगी लेकिन दो-चार दिन में वापस यहां आ जाऊंगी।
प्रेम: दादी, जब आपका खुद का घर है तो यहां क्यों रहोगी?
सागर: बिलकुल सही, दादी। आप चलो, अब तो आप वहीं रहेंगी अपने घर में। और पापा और घर के बाकी लोगों की तो मैं समझा लूंगा।
प्रेम: उसमें समझाना क्या है, अरे वो घर की सबसे बड़ी हैं, उनकी मर्जी चलनी चाहिए। दादी, आप चलो, सारा सामान पैक करते हैं और चलते हैं।
प्रेम और सागर फटाफट दादी का सारा सामान कार में रखवा देते हैं। ये सब करते-करते आधे से ज्यादा दिन बीत जाता है। दादी भी अपने सभी सहबधु और सखियों को अलविदा करने जाती हैं। उन्हीं में से एक सखी कहती है: काश हमारे घर से भी कोई आए और हमें भी घर वापस ले जाए। सविता बहन, तुम बहुत नसीब वाली हो, तुम्हारा पोता तुम्हें घर वापस ले जाने आया है।
दादी: तुम सब के साथ यहां रहकर अब मेरा जाने का मन नहीं कर रहा है, लेकिन सागर ज़िद कर रहा है, उसका मन रखने के लिए जा रही हूं। लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं तुम सबसे मिलने आती रहूंगी।
सागर: दादी, चलो सब तैयार हैं, अब घर चलें। प्रेम और सागर सबको अलविदा कहकर और दादी को लेकर कार में बैठ जाते हैं। सागर और प्रेम आगे और दादी पीछे बैठ जाती हैं, और उसके बाद सागर कार चलाने लगता है। सागर को ये बात समझ आ गई थी कि प्रेम उससे क्या करवाना चाहता है, इसलिए उसने दादी को अपने साथ ले जाने का फैसला कर लिया। प्रेम सागर की तरफ देखता है और कहता है, "दादी अब वापस वृद्धाश्रम नहीं जाएंगी।"
सागर: प्रोमिस करता हूं।
सागर हमेशा से सोचता था कि प्रेम में बचपना है। लेकिन धीरे-धीरे सागर को समझ आ रहा था कि प्रेम बड़ी से बड़ी बात को आसानी से हैंडल कर लेता है। सागर समझ गया था कि प्रेम उसकी लाइफ में थोड़ी खुशियां लाना चाहता है और इसलिए सागर प्रेम की हर बात को मानने लगा था। प्रेम भी धीरे-धीरे सागर की निजी जिंदगी में करीब आ रहा था। प्रेम भी सागर को खुश देखना चाहता था, इसलिए वह हर मुमकिन कोशिश कर रहा था सागर को खुश देखने के लिए।
थोड़ी देर बाद सागर पहले प्रेम को उसके घर के बाहर वाले मोड़ तक छोड़ देता है और फिर अपने घर के लिए निकल जाता है। सागर अपने घर पहुंचते ही दादी को लेकर घर के अंदर आता है। अंदर आते ही देखता है कि उसके पापा घर आ चुके हैं। सागर अपने पापा को देखकर खुश हो जाता है। वह जाकर पहले पापा के पैर छूता है और फिर उसके पापा उसे गले लगा लेते हैं। सागर के पापा अपनी मां को देखकर खुश हो जाते हैं। वह अपनी मां को अपने साथ सोफे पर बैठाते हैं और कहते हैं, "तुम कब आईं?"
दादी: अभी आई हूं, सागर मुझे लेने गया था।
सागर के पापा: अच्छा किया मां, तुम कुछ दिनों के लिए घर आ गईं।
सागर: लेकिन पापा...
दादी: हां, दो-चार दिन बाद वापस चली जाऊंगी। मेरा वैसे भी यहां मन नहीं लगता।
सागर के पापा: सागर, ये कैसे कपड़े पहन रखे हैं?
दादी: मैंने सागर के लिए लिए हैं, क्यों, अच्छे हैं ना? कितना अच्छा लग रहा है इसमें सागर।
सागर के पापा: लेकिन मां, तुमको पता है मुझे इस तरह के कपड़े पसंद नहीं हैं।
दादी: देख बिट्टू, तेरी उम्र हो गई है, लेकिन सागर की उम्र के लोग ऐसे ही कपड़े पहनते हैं।
सागर के पापा: तुमने ही बिगाड़ देना है इस नवाब को।
इतना सुनकर सागर अपने कमरे में चला जाता है और थोड़ी देर बिस्तर पर लेट जाता है। वह पापा की कही हुई बात के बारे में सोच ही रहा होता है कि उसके फोन पर प्रेम का मैसेज आता है।
प्रेम: टोजो चॉकलेट मांग रहा है।
सागर: टोजो को बोलो, कल पक्का ले आऊंगा।
प्रेम: अच्छा, तुम्हारे पापा मिले दादी से?
सागर: हां मिले, लेकिन!
प्रेम: क्या लेकिन, बताओ?
सागर: मुझे लगता नहीं है दादी हमेशा के लिए यहीं रहेंगी।
प्रेम: मुझे नहीं पता, तुमने प्रोमिस किया था कि अब दादी वापस वहां नहीं जाएगी।
सागर: हां, इसलिए तो मुझे तुम्हारी जरूरत है। तुम ही कोई तरकीब निकालो।
प्रेम: मैं देखता हूं कि मैं क्या कर सकता हूं।
सागर: वैसे, तुमको भी मुझसे बात किए बिना नींद नहीं आती।
प्रेम: अरे नींद से याद आया, आज तो चैन से सोऊंगा। आज खर्राटे नहीं सुनने पड़ेंगे।
सागर: कल पापा के सामने तुम्हारी भी बोलती बंद होगी।
प्रेम: मुझे क्यों डरा रहे हो?
सागर: कोई बात नहीं, कल सब पता चल जाएगा।
प्रेम: तो ठीक है, कल मिलते हैं। कौन डरता है और कौन डराता है।
इतना कहकर दोनों अपने कामों में लग जाते हैं।
बाकी का अगले भाग में........