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गंगा गंगा अपने ही रंग में बह रही थी। गंगा अपने ही ढंग में रमी हुई थी। कितनी सहमी और खुद में ही खोई हुई थी मेरी गंगा। समय के साथ अपने ही सफेद रंग में रंगी हुई थी मेरी गंगा। क्या पता था जिसने गंगा
जोकर हूं मैंकिसी ने कहा कि तुम हंसते बहोत हो।किसी ने कहा की तुम हसाते बहोत हो।क्यों जोकर बने हुऐ हो और लोगों को हंसाते हो।अब क्या कहूं उनसे , की उनके ही गम उन्ही से चुराने आता हूं।अब क्या कहूं उनसे मै
मांजब मैं छोटा था तब तू थी जिसने मुझेअपना सपना समझा था मां।वो तू थी जिसने मुझे पहली बार भूख लगने पे सीने से लगाया था मां ।जब मैं सोते - सोते डरा या सहमा तो तू थी जो मेरे पास थी मां ।जब मैंने अपना पहला
समझो नाइशारों को तुम हमारे ऐ सनम अब समझो ना ।क्या बोलती है ये आंखे , इन आंखों की भाषा को तुम अब समझो ना ।दे रही है दस्तक मेरी धड़कने तेरे दिल को , उन धड़कनों के इशारों को अब समझो ना।इशारों को तुम