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कविता - समझो ना

25 जुलाई 2022

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समझो ना

इशारों को तुम हमारे ऐ सनम अब समझो ना ।
क्या बोलती है ये आंखे , इन आंखों की भाषा को तुम अब समझो ना ।
दे रही है दस्तक मेरी धड़कने तेरे दिल को , 
उन धड़कनों के इशारों को अब समझो ना।
इशारों को तुम हमारे ऐ सनम अब समझो ना ।
पास बुलाती है ये मेरी आंखे तुम्हे अब,
इन आंखों के इशारों को अब समझो ना ।
लब खामोश है , मन अब विचलित है , 
उन विचलित शब्दावली के शब्दो को एक बार तलाशो ना ।
इशारों को तुम हमारे ऐ सनम अब समझो ना ।
दिन बीते रात बीती ना जाने कितने लम्हे बीते ।
उन बीते हुए लम्हों को वापस लाओ ना ।
ऐ सनम बीती रातों के लम्हों के इशारों को समझो ना ।
क्या बोलती हैं ये आंखे , इन आंखों की भाषा तुम अब समझो ना।
इशारों को तुम हमारे ऐ सनम अब समझो ना ।

निखिल श्रीवास्तव

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