एक व्यक्ति के तीन साथी थे। उन्होंने जीवन भर उसका साथ निभाया। जब वह मरने लगा तो अपने मित्रों को पास बुलाकर बोला, “अब मेरा अंतिम समय आ गया है। तुम लोगों ने आजीवन मेरा साथ दिया है। अब मृत्यु के बाद भी क्या तुम लोग मेरा साथ दोगे?”
पहला मित्र बोला, “मैंने जीवन भर तुम्हारा साथ निभाया। लेकिन अब मैं बेबस हूँ। अब मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।”
दूसरा मित्र बोला, ”मैं मृत्यु को नहीं रोक सकता।” मैंने आजीवन तुम्हारा हर स्थिति में साथ दिया है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मृत्यु के बाद तुम्हारा अंतिम संस्कार अच्छी तरह से हो।
तीसरा बोला, “मित्र! तुम चिंता मत करो। मैं मृत्यु के बाद भी तुम्हारा साथ दूंगा। तुम जहां जाओगे, मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।”
मनुष्य के ये तीन साथी हैं- धन, परिवार और कर्म। तीनों में से मनुष्य के कर्म ही मृत्यु के बाद उसके साथ रहते हैं।
उपर्युक्त प्रसंग से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अच्छे कर्म करने चाहिए। यही वह दौलत हैं जो मरने के बाद भी जीव के साथ जाती है। अतः अच्छे कार्यों में, विशेष तौर पर दीन दुखियों की सेवा और भगवान का यश-गान करना और इस अनमोल जीवन को भक्तिभाव से बिताना चाहिए।