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परेशां क्यूँ है

11 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
तुम आओगे न
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पुस्तक में मैंने अपने जिन्दगी के गुजारे पलों के अनुभव को कविता में उतारने की कोशिश की है । अधिकतर कविता प्रेम और विरह पे लिखी गई है। इसमें मैंने अपने मन के उद्वेगों को लिपिबद्ध किया है। यह किसी पेशेवर लेखक की तरह नहीं बल्कि आपके बिच रहने वाले किसी इंसान की मन की बात को बस पक्तिंबद्ध कर दिया गया हैं। आगे विचार के लिए आप सभी पठकों और शब्द के समस्त सदस्यों पर छोड़ता हूँ।
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तुम आओगे न

28 नवम्बर 2021
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<p>स्याह काली रातों के छट जाने केबाद, </p> <p> मेरी हँसी लबों से मिट जाने के बाद, </p

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दिल करता है।

28 नवम्बर 2021
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<p>बूंद बूंद तुझे भिगोनें का दिल करता है । </p> <p>फिर इक बार तुझपे मरने का दिल करता है। <

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वर्क लगाये घुमता हूँ

29 नवम्बर 2021
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<p>मैं मानव !</p> <p>संस्कृति की धरोहर,सभ्यता की नींव,</p> <p>छुपाता हूँ अपनी बुराईयों क

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वादा तो कर

3 दिसम्बर 2021
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<p>बड़ी सिद्दत से मुहब्बत के जख्म सिंच रहा हूँ। </p> <p>बस तेरी यादों की बारिस में

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हसरत

3 दिसम्बर 2021
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<p>दिल की हसरत उनको मैं बता न सका। </p> <p>दिल में रहते हैं पर उन्हे मैं पा न

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परेशां क्यूँ है

11 दिसम्बर 2021
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<p> आजकल हर सख्श परेशान सा क्यों है, </p> <p>हर इसां के आखों में तुफां सा क्यों है। <

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बेनकाब

11 दिसम्बर 2021
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<p> उनका तेवर भी देखा मसुमियत भी देख ली हमने, </p> <p>क्या है, क्यों है हर खुबियाँ भी देख

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तुम्हारी यादें

31 मार्च 2022
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याद जब तुम आये दिल की गहराई में.  रंग भर गया मेरे दिल की तनहाई में .  सैकड़ो बिजलियाँ दौड़ जाती थी बदन में उफ़ क्या जलवें थे तेरी उस अंगड़ाई में. छूकर तेरे बदन को आज आई हो जैसे खुशबू तेरी बसी है आज

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ख्वाईश

1 अप्रैल 2022
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कुछ जख्म किनारे रख देना, कुछ अश्क हमारे रख देना , कभी आकर मेरे कब्र पे तुम  इक लाल गुलाब रख देना .   कभी रूठ जो जाना तुम मुझसे कभी दूर जो जाना तुम मुझसे,   ख्वाबों में मेरे लिए भी सनम, थोड़ी

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