
खामोशियाँ भी अब तो बातें करने लगी है,
वो तो अब चुप रहने लगे हैं।
महफिल में छाई है तन्हाईयाँ,
अब तो उनकी ख़ामोशीयाँ भी
बातें करने लगी।
कैसे पूछूँ कैसे बताऊँ अपनी मज़बूरीयाँ,
अब तो खामोशियाँ भी बातें करने लगी।
वो तो समझे नही हमारी खामोशियाँ,
महफिल में छाई है उदासीयाँ
दिल में छा गयी है अब तन्हाईयाँ
अब तो उनकी खामोशियाँ भी बाते
करने लगी है।
महफिल में रह कर भी वो अब,
खामोशियों से बाते करते हैं।
और हम अब तन्हाईयों में उनकी,
खामोशियों से बातें करते हैं।
ये कैसी उलझन आ गई है महफिल में
बस अब तन्हाईयाँ और खामोशियाँ
छा गई है महफिल में जँहा बसती थी
तेरी मेरी और यारों की शैतानीयाँ
अब तो महफिल में बस बसती है,
खामोशियाँ और तन्हाईयाँ ही,
अब तो खामोशियाँ भी बातें करने,
लगी है।।
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