जब किसी की मोहब्बत जुदा
होती है तो लव खामोश खुद ब खुद
हो जाते हैं
ख़ामोशी की चादर में खुद को
लपेट लेते हैं ख़ामोशी के दर्द
को खुद सहते हैं उफ़ भी न करते हैं
उस जुदा मोहब्बत का दर्द ख़ामोशी
की चादर से लिपटा बस रह जाता है
कोई न समझ पाता है ये ख़ामोशी
वाला मोहब्बत का दर्द
वो अपनों के बीच रह कर खुद
सह जाते चुप रहकर जुदा मोहब्बत
के ख़ामोशी वाला दर्द
वो उस दर्द को भी ख़ामोशी के साथ
याद करते हैं
बस धड़कन चलती रहती है लव
खामोश हो जाते हैं
मोहब्बत जब जुदा होती है तो
जो कभी अपनी मोहब्बत के साथ
खूबसूरत चेहरे मुस्कुराते रहती थी
वही अपनी मोहब्बत से जुदा हो कर
बस खामोश हो जाती है
जिंदगी यूँ ही गुजरते बस रह जाती है
सिमटकर रिश्तेनातों के संग
धुपछाँव के संग
बस कोई नही समझ पाता है
ख़ामोशी का दर्द बस जीते हैं
जिंदगी अपनी मोहब्बत से जुदा
हो कर बस ख़ामोशी के साथ
अपनों के संग
नही पड़ता है किसी को भी फर्क
बस खुद सहते रह जाते हैं
ख़ामोशी का दर्द
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इस ख़ामोशी भरे इस दर्द का