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अपने सपने --(भाग -23)

27 मार्च 2022

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शीर्षक-----"माँ का आँचल"


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मेरी माँ के आँचल में बीता मेरा बचपन,
वो भगवान तो नही है पर मेरे लिए है भगवान।


मेरी माँ मेरे लिए इस जहाँ में,
मेरे मन के मंदिर में भगवान से कम नही है।

माँ सुनती है मेरे दिल की धड़कन,
रोक लेती है सारी अडचन,
मुझे सुलाती है अपने आँचल की,
छाँव में।
हर दुःख तकलीफ से मेरी रक्षा करती है।

खुद हर बाधा से टकरा जाती है,
पर अपने आँचल में छुपा कर हमें रखती है।

अम्बर से ऊँचा है उनका प्यार है,
धरती से बड़ा उनका ममता भरा आँचल है।

उस आँचल के कोने की छाँव में मिलता है,
हमें प्यार की छाया है।
तभी तो मेरे लिए,
मेरी माँ भगवान से कम नही है।

अगर उनके आँचल की छाँव सदा मिलते रहे,
तो जीवन की हर प्यास बुझ जाय।

सुखदुःख में वो ढाल बन जाती है,
सारे वालायं अपने नाम कर जाती है।

संस्कार की खान होती है,
ज्ञान की भंडार होती है।

न पढ़िलिखी हो कर भी वो,
अपने बच्चों को महान बनाती है।

उनके आँचल में ममता की भरमार भी होती है,
अपने बच्चों के लिए प्यार भरी फटकार भी होती है।
रखती है दुआओं की सौगात भी 
अपने बच्चों के लिए अपने आँचल में छुपा कर।

जो किसी को भी,
नजर नही आती है बस वो मेरी माँ के आँचल,
की छाँव में होती है।

माँ हमें यूँ ही मिलते रहे सदा,
आपकी आँचल की छाँव माँ।
239


7 अप्रैल 2022

27
रचनाएँ
अपने सपने
5.0
ये किताब कविता शायरी संग्रह है आप सब सोच रहे होंगे की अपने सपने नाम आखिर क्यों रखा गया है। तो जिंदगी में कभी कभी अपनी जिम्मेदारीयों की वजह से हम सब के दिल में कुछ न कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं तो हमारे सपने को नाम दे कर उन्हें हमने अपने सपने लिख दिया है ❤❤
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