शीर्षक -"वो एक कविता"
वो एक कविता ही तो होती है,
जो हमेशा साथ चलती है,
जो हमेशा पास रहती है,
वो एक कविता ही तो होती है।
जो किसी की पहचान होती है,
जो किसी की सम्मान होती है,
वो एक कविता ही तो होती है।
जो हमें जिंदा रखती है,
खुद को पन्नों में कैद हो कर,
वो एक कविता ही तो होती है।
जो हमारी आवाज होती है,
जो बेजुवाँ हो कर भी बोल जाती है,
वो एक कविता ही तो होती है।
जो अजनबियों के दिल में भी,
अपनी खुद की पनाह बना लेती है,
वो एक कविता ही तो होती है।
जो मिटाने से भी न मिटाती है,
वो पन्नों में उतर कर रह जाती है,
वो एक कविता ही तो होती है।
जब दुनिया छोड़ जाओगे तो,
तुम्हरी लिखी हुई कविता ही तो,
तुम्हारी याद हमेशा हमेशा दिला जाएगी,
वो एक कविता ही तो होती है।
जो धड़कने बंद हो जाने पर भी,
जमाने भर में कविता बन कर,
धड़का करेगी,
वो एक कविता ही तो होती है,
जो हमेशा साथ चलती है।
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