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भूमिका

8 अप्रैल 2023

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देश के शीर्ष व्यवसायियों की सूची में बहुत से ऐसे सफल व्यवसायी हैं, जिन्होंने शीर्ष तक पहुँचने के लिए भ्रष्टाचार और रिश्वत जैसे अनैतिक साधनों का प्रयोग किया है और इसके बावजूद वे कई लोगों के लिए प्रेरणा के सबसे बड़े स्रोत हैं; वहीं दूसरी तरफ कुछ अजीम प्रेमजी जैसे भी हैं, जिन्होंने नैतिकता का रास्ता नहीं छोड़ा, लेकिन फिर भी वे सफलता के ऐसे शिखर तक पहुँचने में सफल रहे, जो बहुतों के लिए ईर्ष्या का सबब है। उन्होंने अपनी शिक्षाओं से यह साबित किया है कि एक सकारात्मक मानसिकता भी सफलता का एक स्रोत हो सकती है। उन्होंने यह दिखाया है कि नैतिकता आपके कदमों को सफलता तक पहुँचने से नहीं रोक सकती और उन्होंने वनस्पति तेल के अपने छोटे से पारिवा रिक व्यवसाय से देश की दिग्गज और सबसे सफल सॉफ्टवेयर कंपनी, जिसके उत्पादों की फेहरिस्त काफी लंबी है, का निर्माण करते हुए इसे बखूबी कर दिखाया है। उन्होंने ढेर सारा पैया कमाया, इसके बावजूद वे उसके प्रति कोई लगाव महसूस नहीं करते हैं और उन्होंने अपनी जीवन-शैली के साथ-साथ परोपकारी कामों के जरिए इसे बखूबी प्रदर्शित भी किया है। एक तरफ तो वे अपनी कंपनी की तरक्की और साफ- लता को लेकर चिंतित रहते हैं, वहीं इसके साथ ही वे ऐसा भी चाहते हैं कि इस समाज में कोई भी व्यक्ति गरीब और अशिक्षित न रहे। सामा- जिक मुद्दों को लेकर उनकी चिंता ने उन्हें दुनिया के सामने एक ऐसे महानतम व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है, जो सार्वजनिक हित के लिए अपनी पूरी संपत्ति तक को बाँटने के लिए तैयार हैं; और ऐसा करने के लिए उन्होंने कंपनी की दौलत का इस्तेमाल नहीं किया; और उनका बिल्कुल समुचित रूप से यह कहना है कि परोपकार तभी सबसे अच्छा होता है, जब उसे अपने पैसे के दम पर किया जाए। उनका परोपकार बिल्कुल भी 'देकर भूल जाने' वाला नहीं है, बल्कि वे यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करते हैं कि उनके द्वारा किया जानेवाला काम चिर- स्थायी हो, जो अपने पीछे समाज पर एक महान् असर और एक समृद्ध विरासत छोड़े।

हम जैसे-जैसे उनके प्रसिद्धी के शिखर पर पहुँचनेवाले व्यक्तित्व को परत-दर-परत देखते हैं, तो कॉलेज के दिनों से ही हमें उन मौकों के उदाहरण मिलने लगते हैं, जिन्होंने उन्हें वो व्यक्ति बनाया है, जो वे आज हैं। वे सिर्फ मूल्यों को धारण करने का दावा ही नहीं करते हैं, बल्कि वो स्वयं उनका अनुसरण भी करते हैं और वो भी बिना किसी अपवाद के। उन्होंने कई मौकों पर तो अपने मूल्यों से हाथ झाड़ने के मुकाबले नुकसान का सामना करने का चुनाव किया; और यही वो आदत है, जो उन्हें सिर्फ व्यापार जगत् ही नहीं, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों के सबसे महान् लोगों में से एक बनाती है।

उनकी यह जीवनी इस तथ्य के आलोक में और भी अधिक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज बन जाती है, क्योंकि अजीम प्रेमजी ने अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम बोलने का फैसला किया है, फिर भी इस पुस्तक के जरिए उनके विषय में सबसे विस्तृत विवरण को सामने लाने का प्रयास किया गया है, जिसे सबसे विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त किया गया है और ऐसा करते हुए, हम उनके जीवन को उस तरीके से एक- त्रित कर पाने में सफल रहे हैं, जैसा आज की तारीख में हम उन्हें जानते हैं और उनकी रणनीतियों और मूल्यों सहित वे तमाम चीजें, जो उन्हें सफलता के शिखर तक लेकर गई हैं। एक पाठक को यह जानकर काफी खुशी होगी कि वे सिर्फ उस बड़े सॉफ्टवेयर के व्यवसाय, जिसे उन्होंने स्थापित किया है या फिर उनके द्वारा किए जानेवाले परोपकारों के महान् कामों से कहीं परे हैं और उनके वास्तविक व्यक्तित्व को उजागर करना लेखक के लिए भी खासा रहस्योद्घाटन जैसा रहा है और इस सबको अनावश्यक आँकड़ों की गहराई में जाए बिना प्रस्तुत किया गया है, क्योंकि वे समय के साथ अपना मूल्य खो देते हैं। उनके जीवन से जुड़े यह जादुई तथ्य हमारे सामने एक ऐसे व्यक्तित्व को लेकर आते हैं, जिसके बारे में हम अधिक-से-अधिक जानना चा- हते हैं, विशेषकर तब, जब आप मायूसी भरे माहौल में फँसे होते हैं। उनके इस शानदार व्यक्तित्व में सीखने के लिए बहुत कुछ मौजूद है, विशेषकर प्रतिकूल परिस्थितियों में सफलता कैसे प्राप्त की जाए? हो सकता है कि वे इस बढ़ती हुई उम्र में अब इतने अधिक सक्रिय न हों, लेकिन इसके बावजूद वे अपने विविध प्रयासों और संस्थानों के माध्यम से अपनी कंपनी, समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करते रहते हैं। उनकी उपलब्धियाँ और मूल्य उन्हें एक वास्तविक दूरदर्शी बनाते हैं, एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति को जानना चाहिए और अनुकरण करना चाहिए। - ए. के. गांधी

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रचनाएँ
अज़ीम प्रेमजी की बायोग्राफी
5.0
"भारतीय व्यापार-जगत के एक चमकते सितारे अजीम प्रेमजी सफल व्यापारी, आई.टी. उद्योग के सिरमौर और निवेशक हैं, जिन्होंने अपने अद्भुत कर्तृत्व से सफलता का नया इतिहास लिखा है। भारत सरकार द्वारा ‘पद्म विभूषण’, ‘पदम भूषण’ तथा अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत अजीम प्रेमजी को ‘टाइम’ मैगजीन ने उन्हें दो बार 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है। 1960 के दशक में जब विप्रो ने उपभोक्ता स्वास्थ्य उद्योग से हाई-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई पारी की शुरुआत की तो अजीम प्रेमजी ने उसे सफलता दिलाई। व्यापारिक सफलता पाकर उन्होंने भारत की सनातन परंपरा ‘लोकोपकार’ को पुष्ट किया। ‘गिविंग प्लेज’ पर साइन किया है। परोपकार के लिए जाना जाता है। प्रेमजी ने ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ को 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का दान दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अद्वितीय काम किए हैं और एक ‘साक्षर भारत’ बनने की यात्रा में अपना अपूर्व योगदान किया है। उद्यमशीलता, नेतृत्व, कौशल, प्रशासनिक दक्षता, सहृदयता और परोपकार के प्रतीक अजीम प्रेमजी ने अपार धन-समृद्धि अर्जित की, पर मुक्त हाथों से उसे समाज को लौटाया भी। एक यशस्वी, लोककल्याणकारी व्यक्तित्व की यह प्रेरक जीवनगाथा समाज को मानवीयता और देने का महत्त्व बताएगी।"

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