"झिनकू भैया के प्रपंची आँसू" एक आँख से विनाशक बाढ़ व दूसरी आँख से फसलों को सुखाने वाला हृदय विदारक सूखा देखकर झिनकू भैया की आँखे पसीजने लगी जो चौतरफा दृश्य परिवर्तन के तांडव को देखकर छल-छल बहने की आदी तो हो ही गई है, अब तो उसे जीना और पीना भी है। बड़े ही भावुक और चिंतनशील आदमी हैं झिनकू भैया, जब धारा