कविता-----
मेरे दिलदार ले चल उस पार।
जहां प्यार ही प्यार हो बेशुमार।।
जहां कोई आता जाता न हो प्राणी।
चैंन से गुजर जाए अपनी जिंदगानी।।
तेरा साथ मिला मुझे और क्या चाहिए।
भला एक भटकी कश्ती को किनारा चाहिए।।
मेरा नाम तेरे नाम संग अब जुड़ जायेगा।
मुहब्बत को भी नया मुकाम मिल जायेगा।।
स्वरचित---कविता----रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी