शायरी----
१---उसके ❤️ दिल में मैंने ठहरने की थोड़ी सी जगह मांगी थी।
उसने तन्हाइयों का वीरान सा बंगला मेरे सुपर्द कर दिया।।
२---नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं है रात भर।
कसूर तो उनकी मुस्कुराहट का है जो सोने नहीं
देते मुझे रात भर।।
स्वरचित---शायरी---रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी